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________________ ब्राह्मण विद्वानों, विदेशी विद्वानों द्वारा भगवान महावीर का चरित्र साहित्य की विविध विधाओं में लिखा गया है। उपर्युक्त लिखित मुद्रित सामग्री भगवान महावीर की जीवनीविषयक जिज्ञासा को तृप्त करने में समर्थ नहीं है। अनेक प्रकार के बुद्धिभ्रम निर्माण होते हैं। अतः भगवान महावीर की जीवनी की रूपरेखा को ही मात्र प्रस्तुत किया जा सकता है। इसी तथ्य को सामने रखकर अध्याय के अन्त में महावीर को जीवनी की रूपरेखा को प्रस्तुत किया हैं। वर्तमान युग की प्रमुख विशेषता है-ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की। आज के युग की मांग है कि ऐतिहासिक महावीर का चरित्र तर्कबुद्धि-सिद्ध और इतिहास-सम्मत हो। महावीर-चरित्र लिखने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की अत्यधिक आवश्यकता है। भगवान महावीर के जीवनवृत्त सम्बन्धी जो असंगत बातें चित्रित की जाती हैं-जैसे ।. गर्भापहरण, 2. शिशुमहावीर के अंगुष्ठ द्वारा मेरुकम्पन, 3. स्वर्ग के देवों की सृष्टि करके महावीर के गर्भ, जन्म दीक्षा, केवलज्ञान, निर्वाण के कल्याणक महोत्सवों पर उनकी उपस्थिति आदि। इन्हीं असंगतियों, पौराणिक कल्पनाओं, अलौकिक अदभत प्रसंगों का समावेश महावीर के चरित्र में तयुगीन आवश्यकता को मानकर जो किया गया, उसे आज की नयी पीढ़ी बुद्धि ग्राह्य नहीं मानती। अतः ऐतिहासिक दृष्टि से एवं घटनाओं को तर्कबुद्धि की कसौटी पर कसने पर महावीर के चरित्र का आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अनुशीलन-अनुसन्धान करना युगीन आवश्यकता है। भगवान महावीर की जीवनी के सोत :: 41
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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