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________________ कच्चा दूध पीकर बढ़े थे, किन्तु उनका उदात्त मन अलौकिक था । तम और ज्योति, सत्य और असत्य के संघर्ष में एक बार जो मार्ग उन्होंने स्वीकार किया, उस पर दृढ़ता से पैर रखकर हम उन्हें निरन्तर आगे बढ़ते हुए देखते हैं। उन्होंने अपने मन को अखण्ड ब्रह्मचर्य की आँच में जैसा तपाया था, उसकी तुलना में रखने के लिए अन्य उदाहरण कम ही मिलेंगे। जिस अध्यात्म केन्द्र में इस प्रकार की सिद्धि प्राप्त की जाती है, उसकी धाराएँ देश और काल पर अपना निस्सीम प्रभाव डालती हैं। महावीर का यह प्रभाव आज भी अमर है I निष्कर्ष भगवान महावीर की जीवनी के विविध स्रोतों का विवेचन करने पर निम्नरूप में निष्कर्ष प्राप्त होते हैं। 1. पुरातन पाषाण प्रतिमाओं, मूर्तियों, शिलालेखों, स्तूपलेखों से सम्बन्धित जो अभिलेखीय सामग्री उपलब्ध हुई है, उससे भगवान महावीर के जीवनवृत्त के धुंधले से संकेत मिलते हैं। यह सामग्री जीवनी लेखन के लिए विश्वसनीय और प्रामाणिक तो है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। इससे भगवान महावीर की ऐतिहासिकता निश्चित रूप से सिद्ध होती है। 2. आगम ग्रन्थों में भगवान महावीर के जन्म, तप, दीक्षा, उपदेश, निर्वाण आदि को लेकर प्रसंगवश वृत्तवर्णन तो मिलते हैं, लेकिन आगमों को लेकर दिगम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदायों में दृष्टिकोण की विभिन्नता है। अतः साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से ही भगवान महावीर की जीवनी के वृत्तों का वर्णन प्राप्त होता है। अंग, उपांग, प्रकीर्णक, नियुक्ति, मूलसूत्र, छेदसूत्र, चूर्णि आदि आगम ग्रन्थ भिन्न-भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न विद्वानों के द्वारा ग्रन्थित किये गये और साम्प्रदायिकता के कारण अपनी महत्ता की अलग पहचान के लिए अपने धर्मप्रवर्तक की प्रतिमा भी अपने-अपने आदर्शों के अनुसार गढ़ने में मग्न रहे हैं। अतः भगवान महावीर की जीवनी ऐतिहासिक एवं विश्वसनीय रूप में सर्वसम्मत नहीं बन पाती है। साम्प्रदायिक दृष्टि के कारण महावीर, मानव महावीर न रहकर कल्पित देव से बन गये हैं। 3. जैन आगम साहित्य के आचार्य कवियों ने भी सम्प्रदायगत दृष्टि से भगवान महावीर को चित्रित किया है। ये आचार्य श्रुतधारी, सारस्वत, प्रबुद्ध, परम्परापोषक एवं गृहस्थ कवि रहे। इन सन्तों ने अपनी बौद्धिक क्षमता के अनुसार एवं सम्प्रदाय विशेष की अलग पहचान को सुरक्षित रखने के लिए युगानुकूल महावीर के जीवन में अनेक पौराणिक, काल्पनिक घटनाओं का समावेश किया। अतः विश्वसनीय जीवनी प्राप्त नहीं होती । 4. प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी साहित्य में समय-समय पर देश कं विविध स्थानों में विविध पन्थीय दृष्टिकोण से जैन साम्प्रदायिक साधुओं, जैनंतर 4) हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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