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1. महापुरुष भगवान महावीर की प्रामाणिक एवं विश्वसनीय जीवनी को ज्ञात करने के लिए कौन से स्रोत उपलब्ध हैं?
2. आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र-चित्रण पर आधुनिकता का प्रभाव कहाँ तक हुआ है?
3. भगवान महावीर के चरित्र की प्रासंगिकता क्या है?
मूलतः इन्हीं प्रश्नों ने मुझे शोध-कार्य के लिए प्रेरित किया था। अनुसन्धान सम्पन्न करने के बाद मैंने इन प्रश्नों के उत्तर उपसंहार में दिये हैं। जिज्ञासा की तृप्ति के लिए मैंने देश के विभिन्न विद्वानी एवं जैनाचार्यों से साक्षात्कार किया। दिल्ली स्थित राष्ट्रसन्त, आचार्य विद्यानन्द मुनि से महावीर चरित्र पर अनुसन्धान करने की प्रेरणा मुझे मिली और आशीर्वाद भी प्राप्त हुए। 'अनुत्तर योगी' उपन्यास के कलाकार धीरेन्द्रकुमार जैन, मुम्बई से मुझे इस सन्दर्भ में उपयुक्त सामग्री प्राप्त हुई और उन्होंने मुझे इस अनुसन्धान के लिए प्रोत्साहित भी किया। इन्दौर के निवासी डॉ. नेमिचन्द्र जैन से मैंने साक्षात्कार किया। उन्होंने मेरे शोध-विषय को सराहा और आधार ग्रन्थ (आलोच्य महाकाव्य) उपलब्ध कराने में मार्गदर्शन किया।
आलोच्य महाकाव्य के ग्रन्थ मुझे उज्जैन के एक जिनमन्दिर के ग्रन्थ भण्डार से उपलब्ध हुए। भगवान महावीर की प्रामाणिक जीवनी के वृत्तों को संकलित करने के लिए मैंने उत्तर भारत के मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं बिहार के कई स्थलों की शोध-यात्रा की। भगवान महावीर की जन्मभूमि वैशाली के निकट (बसादगाँव) क्षत्रिय कुण्डग्राम, उनकी तपोभूमि राजगृही, उनका समवसरणस्थल विपुलाचल एवं उनकी निर्वाणभूमि पावापुरी आदि तीर्थक्षेत्रों में जाकर छायाचित्र, चरित्र विषयक सामग्री, जहाँ जो भी प्राप्त हुई, उनका संकलन मैंने किया। दक्षिण भारत में श्रवणबेलगोल के भट्टारक चारुकीर्ति, कोल्हापुर के भट्टारक लक्ष्मीसेन तथा सोलापुर के जैन साहित्य के अन्वेषक डॉ. भगवानदास तिवारी आदि विद्वानों ने महावीरचरित्र विषयक वस्तुपरक दृष्टि से अध्ययन करने में सहायता प्रदान की। कोल्हापुर के जैनदर्शन के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के मर्मज्ञ विद्धान डॉ. विलास संगवे की प्रेरणा एवं प्रोत्साहन प्रस्तुत विषय के घयन में एवं अनुशीलन में सदैव मुझे प्राप्त हुआ है। शिवाजी विश्वविद्यालय के तत्कालीन हिन्दी विभागाध्यक्ष, राष्ट्रपुरुष छत्रपति शिवाजी-चरित्र के गम्भीर अन्वेषक एवं प्रखर प्रवक्ता डॉ. वसन्तराव मोरे जी से साक्षात्कार करके मैंने पी-एच ड़ी. उपाधि हेतु भगवान महावीर चरित्र के अनुशीलन करने की अपनी मनीषा व्यक्त की। उन्होंने प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध के शीर्षक के निर्धारण में एवं अनुशीलन की दिशा-दिग्दर्शन में मेरी अमूल्य सहायता की है।
भगवान महावीर के चरित्र-चित्रण पर मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय में हिन्दी में अनुसन्धान का कार्य नहीं हुआ है। भगवान महावीर विषयक प्रबन्धकाव्यों के आलोचनात्मक अध्ययन के प्रयास अवश्य हुए हैं।