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प्राक्कथन
एम.ए. तथा एम. फिल. की उपाधि के पाठ्यक्रमों में रामचरित, कृष्णचरित सम्बन्धी आधुनिक महाकाव्यों का अध्ययन करने का अवसर कई वर्ष पूर्व प्राप्त हुआ था । राम और कृष्ण भारतीय परम्परा में प्राचीन पुराण पुरुष होते हुए भी आधुनिक कवियों ने युगीन सन्दर्भ में उनके चरित्र में आधुनिकता का बोध हमें कराया है। हमारी पारिवारिक संस्कृति के अनुसार भगवान महावीर के चरित्र की पौराणिक, अतिलौकिक भगवान का स्वरूप मेरे मानस-पटल पर एक परम्परागत प्रतिमा के रूप में साकार हुआ था। फलस्वरूप मैं उनकी पूजा, भक्ति भी करती रही हूँ। फिर भी अन्तर्मन यह कहता था कि मैं महावीर के चरित्र के मानवीय स्वरूप की तलाश करूँ।
भगवान महावीर आज ऐतिहासिक चरित्र के रूप में सर्वमान्य हो चुके हैं, फिर भी उनके चरित्र पर युग-युगान्तर में अलौकिकता, पौराणिकत्ता, ईश्वरीय भगवत्ता एवं दिव्यता के आवरण युगीन सन्दर्भ में डाले गये हैं। उन्हें हटाकर आज के सन्दर्भ में एक ऐतिहासिक महापुरुष के रूप में उनके चरित्र की विभिन्न सन्दर्भो में तलाश करने की जिज्ञासा मेरे मन में जाग उठी। महान् व्यक्तित्व के जीवन पर जैसे अतीत आवरण डालता जाता है, वैसे-वैसे उनके भक्त भी उनके चरित्र के साथ दैवी अलौकिक घटनाओं को जोड़ते हैं। वस्तुतः भगवान महावीर उत्कट यथार्थवादी थे। महावीर की यथार्थवादी प्रतिमा पौराणिक युग में चमत्कारों, अतिशयोक्तियों और दैवी घटनाओं से
लद गयी । मध्ययुग में महावीर की एक तपस्यामूलक छवि उपस्थापित हुई। लोकमानस . ने उन्हें अतिवादी माना । आधुनिक युग में भगवान महावीर का मानवीय रूप में
अंकन करने का प्रयास हो रहा है। भगवान महावीर के चरित्र-चित्रण का प्रस्तुत अनुशीलन इसी दिशा में एक प्रयास है।
साहित्य के इतिहास के ग्रन्थों में अनूप शर्मा कृत 'बर्द्धमान' महाकाव्य का उल्लेख मिलता है। आधुनिक महाकाव्य की परम्परा का आज तक का अध्ययन करने पर पता चलता है कि महावीर चरित विषयक दस काव्यग्रन्थ प्रकाशित हो गये हैं। भगवान महावीर के चरित्र-चित्रण के अनुशीलन के लिए इनमें से छह महाकाव्यों का प्रतिनिधि काव्यों के रूप में चयन किया है। चरित्र के अनुशीलन के पूर्व मन में प्रमुखतः तीन प्रश्नों की जिज्ञासा रही है।