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प्रथम खण्ड/तृतीय पुस्तक
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प्रश्न १७४ - द्रव्य, गुण, पर्याय पर प्रमाण का प्रयोग करो ? उत्तर - जो अनिर्वचनीय है, वही गुण पर्यायवाला है, दूसरा नहीं है अथवा जो गुण पर्यायवाला है वही अनिर्वचनीय है इस प्रकार जो व्यवहार निश्चय दोनों के पक्ष को मैत्रीपूर्वक कहे, वह प्रमाण है।
(७४८, ७५० दूसरी पंक्ति) प्रश्न १७५ - अनेक नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - द्रव्य है,गुण है, पर्याय है,तीनों अनेक हैं। अपने-अपन लक्षण से भिन्न-भिन्न हैं। यह अनेक नामा व्यवहार नय का पक्ष है।
७५२ प्रश्न १७६ - एक नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - नाम से चाहे द्रव्य कहो अथवा गुण कहो अथवा पर्याय कहो पर सामान्यपने ये तीनों ही अभिन्न एक
सत् है इसलिये इन तीनों में से किसी एक के कहने से बाकी के दो भी बिना कहे ग्रहण होते ही हैं यह एक नामा व्यवहार नय है।
७५३ प्रश्न १७७ - शुद्धद्रव्यार्थिकनय का प्रयोग बताओ? उत्तर - निरंश देश होने से न द्रव्य है, न गुण है, न पर्याय है और न विकल्प से प्रगट है यह शुद्धद्रव्यार्थिकनय का पक्ष है।
७५४ प्रश्न १७८ - प्रमाण का प्रयोग बताओ? उत्तर - पर्यायार्थिक नय से जो सत् द्रव्य, गुण, पर्यायों के द्वारा अनेक रूपभेद किया जाता है, वही सत् अंशरहित (अखण्ड) होने से अभेद्य एक है यह प्रमाण का पक्ष है।
७५५ प्रश्न १७९ - अस्ति नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - विपक्ष की अविवक्षा रहते वस्तु सामान्य अथवा विशेष जिसकी विवक्षा हो, उस रूप से है। यह कहना
एक अस्ति नामा व्यवहार नय है। प्रश्न १८० - नास्तिनय का प्रयोग बताओ? उत्तर - विपक्ष की विवक्षा रहते वस्तु सामान्य अथवा विशेष जिस रूप से नहीं है वह नास्ति पक्ष है। ७५७ प्रश्न १८१ - अस्ति-नास्ति पर द्रव्यार्थिक नय का प्रयोग बताओ? उत्सर - तत्त्व स्व रूप से है यह भी नहीं है तत्त्व पर रूप से नहीं है यह भी नहीं है। क्योंकि वस्तु सब विकल्पों से रहित है यह शुद्ध द्रव्यार्थिक नय का पक्ष है।
७५८ प्रश्न १८२ - अस्ति-नास्ति पर प्रमाण का प्रयोग बताओ? उत्तर - जो पर स्वरूप के अभाव से नहीं है, वही स्वरूप के सद्भाव से है, तथा वही अनिर्वचनीय है यह सब प्रमाण पक्ष है।
७५९ प्रश्न १८३ - अनित्य नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - सत् प्रत्येक समय उत्पन्न होता है और नाश होता है यह अनित्य नामा व्यवहार नय है। ७६० प्रश्न १८४ - नित्य नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - सत् न उत्पन्न होता है न नाश होता है, वह सदा एक रूप ध्रुव रहता है यह नित्य नामा व्यवहार नय है।
७६१ प्रश्न १८५ - निश्चय नय का प्रयोग बताओ? उत्तर - सत् न नाश होता न उत्पन्न होता है न ध्रुव है, वह तो निर्विकल्प है यह निश्चय नय का पक्ष है।
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