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| जो शक्कर और चावलमें पैदा होती है, (इंदगोवाई) इन्द्रगोप-जो वर्षा में लाल रंगका जीव पैदा होता है जिसे पंजाबी |
पीजव्होटी, और गुजराती गोकलगाय कहते हैं-मारवाडमें मम्मोलाक० इत्यादि (तेइंदिय) त्रीन्द्रिय जीव हैं ॥ १७ ॥ __ भाषार्थ-जिन जीवोंको सिर्फ शरीर, जीभ और नाक हो, उनको त्रीन्द्रिय कहते हैं, वे ये है;-फानखजूरा, खट मल, जूं , चींटी, दीमक, अनाजमें पैदा होनेवाली ईली, मकोड़ा, धीमें पैदा होनेवाली लाल कीडी, शरीरमें पैदा होनेवाली चर्मजूं, गायके कानआदिमें पैदा होनेवाले कीड़े, गोशालामें पैदा होनेवाले जीव, विष्ठाके कीड़े, गोबरके कीड़े, | अनाजके कीड़े, कुन्थु, गोपालिका, शक्कर और घायलमें पैदा होनेवाले जीव ईली, इन्द्रगोप आदि.
चउरिदिया य विच्छू,ढिंकुण-भगराय अमरिया-ति छिय सागलगा,कंसारी-कविलडोलाई१८3 | (विच्छू ) बिच्छू, (ढिंकुण) ढिकुण-घुड़साल आदिमें पैदा होता है, (भमरा) भ्रमर-भौंरा, (भमारेया) भ्रम-12 || रिका-बरे, (तिड्डा) टिड्डी-टीढ़ी, (मच्छिय) मक्षिका-मक्खी, मधुमक्खी, ('डसा) दंदा-डांस, (मसगा) मशक
मच्छर, (कंसारी) कंसारिका-जो उजाड़ जगहमें पैदा होती है, (कविलडोलाई) कपिलडोलक-एक किस्मका जीव || जिसे गुजराती खड़माँकड़ी कहते हैं, इत्यादि (चउरिंदिया) चतुरिन्द्रिय जीव है ।। १८ ।।। | भावार्थ-जिन जीवोंको शरीर, जीभ, नाक और आँख हो, वे चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं, जैसेः-बिच्छू, घुड़सालमें, पैदा होनेवाला ढिकुण नामक जीव, भमरा, बेरे, मक्खी, मधुमक्खी, डाँस, मच्छर, दीढ़ी, कंसारिका, कपिलडोलक आदि।
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