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पंचिदिया य चउहा, नारय- तिरिया- मणुस्स- देवा य । नेरइया सत्तविहा, नायवा पुढविभेषणं ॥ १९ ॥ (पंचिंदिया ) पशेन्द्रिय जीव (चा) चतुर्धा - चार प्रकारके हैं (नारच ) नारकिया, ( तिरिया) तिर्यञ्च, (मणुस्स) मनुष्य (ग) (देवा) ( ) में रहनेवाले जीव ( पुढविभेषणं ) पृथ्वी के भेद से ( सत्तविहा ) सप्तविधा - सात प्रकारके ( नायबा ) जानना ॥ १९ ॥
भावार्थ — पश्चेन्द्रिय जीवके चार भेद हैं:-नारक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव, भिन्न भिन्न सात स्थानोंमें पैदा होनेके कारण नारक जीव सात प्रकारके हैं. उन सात स्थानोंके - नरकोंके नाम ये हैं; रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पङ्कप्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और तमस्तमःप्रभा.
"पञ्चेन्द्रिय जीवों में नारकोंके भेद कहकर अब चार गाथाओंसे पचेन्द्रिय तिर्यञ्च और मनुष्योंके भेद कहते हैं." जलयर-थलयर- खयरा, तिविहा पंचेंदिया तिरिक्खा य। सुसुमार-मच्छ कच्छव, गाहा मगराइ जलचारी
( जलयर) जलघर, ( थलयर) स्थलचर, ( खचरा) खेचर ( पंचेंदिया ) पश्चेन्द्रिय (तिरिक्खा ) तिर्यञ्च ( तिविहा ) त्रिविध अर्थात् तीन प्रकारके हैं. ( जलचारी ) जलमें रहनेवाले ( सुसुमार ) शिशुमार - सुइस, जिसका आकार भैंस जैसा होता है, (मच्छ) मत्स्य-मछली, ( कच्छव ) कच्छप कछुआ, ( गाहा ) ग्राह - घड़ियाल, (मगराइ ) मकर-मगर आदि हैं ॥ २० ॥