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(माइवाहाई ) मातृवाहिका-जिसकी गुजरातमें आंधेकता है और वहाके लांग चूडल कहते हैं; इत्यादि (वेईदिय) द्वीन्द्रिय जीव हैं. ॥१५॥
भावार्थ-जिन जीवोंके त्वचा और जीभ हो, दूसरी इन्द्रियाँ न हों, वे जीव दीन्द्रिय कहलाते हैं, जैसे शंख, कौड़ी, पेटके जीव, जोक, अक्ष, भूनाग, लालीयक, काष्ठकीट, कृमि, पूतरक और मातृवाहिका आदि. गोमी-मंकण-जूआ, पिपीलि-उद्देहिया य मकोडा। इल्लिय-घयमिल्लीओ, सावय-गोकीड जाईओ॥१६॥ गद्दहय-चोरकीडा, गोमयकीडा य धन्नकीडा य । कुंथु-गुवालिय-इलिया, तेइंदिय इंदगोवाई ॥ १७ ॥
(गोमी ) गुल्मि-कानखजूरा, (मंकण ) मत्कुण-खटमल, ( जुआ) यूका-. ( पिपीलि ) पिपीलिका-चींटी, काली, कीडी ( उद्देहियाय ) उपदेहिका-दीमक, और (मक्कोडा) मत्कोटक-मकोड़ा, (इल्लिय ) इल्लिका-ईली, जो अनाजमें 3 || पैदा होती है, (घयमिल्लीओ) घृतेलिका-जो घीमें पैदा होती है, लालंकीडी (सावय) चर्म- यूका-जो शरीरमें पैदा होती है, जिससे भविष्यमें अनिष्टकी शङ्का की जाती है, (गोकीड जाईओ) गोकीटकी जातियाँ अर्थात् पशुओंके कान आदि, अवयवोंमें पैदा होनेवाले जीव ॥ १६॥ (गदह्य) गर्दभक-गोशाला आदिमें पैदा होनेवाले सफेद रंगके जीव, (चोरकीडा) चोरकीट-विष्ठाके कीड़े, (गोमय कीडा) गोमयकीट-गोवरके कीड़े, (धन्नकीडाय ) धान्यकीट-अनाजके कीडे, और (कुंथु) कुन्थु-एक किस्मका कीड़ा, (गुवालिय) गोपालिका-एक किस्मका अप्रसिद्ध जीव, (इलिया) ईलिका-2