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तेटलाज विछानामां रहुं हुं अने ऋजुसूत्र नयवाले कनुं जे मारा आत्माना असंख्याता प्रदेशमां रहुं धुं वली शब्द नय कहे जे मारा स्वभावमा रहुं हुं तेमज समभिरूढ नय कहे जे हुं मारा गुणमां रहुं हुं अने एवंभूतनयवादी कहे जे ज्ञान दर्शनगुणमां वसुं छे ए दृष्टांत को रोम सर्व वस्तुमा कहे,
तथा कोइके प्रदेशमात्र खेत्र अंगीकार करी पुछयुं जे ए प्रदेश कया द्रव्यनो छे तेवारें नैगमनय बोल्यो जे छए द्रव्यनो प्रदेश छे केमके एक आकाश प्रदेशमध्ये छ द्रव्य भेला छे तेवारें संग्रहनय बोल्यो जे काल द्रव्य तो अप्रदेशी छे ते माटे सर्व लोकमां एक समय सरिखो छे पण ते एक आकाश द्रव्यना प्रदेशमां जूदो नथी माटे काल बिना पांच द्रव्यनो प्रदेश छे तेवारें व्यवहार नय बोल्यो के जे द्रव्य मुख्य देखाय छे तेहनो प्रदेश हे तेवारें ऋजूसूत्रनय बोल्यो के जे द्रव्यनो उपयोग देइ पुछिये ते द्रव्यनो प्रदेश छे जो धर्मास्तिकायनो उपयोग देइ पुछियें तो धर्मास्तिकायनो प्रदेश छे जो अधर्मास्तिकायनो उपयोग देइ पुछियें तो अधर्मास्तिकायनो प्रदेश छे तेवारें शब्दनय बोल्यो के जे द्रव्यनो | नाम लइ पुछियें ते द्रव्यनो प्रदेश के हवे समभिरूढ नय बोल्यो जे एक आकाश प्रदेश मध्ये धर्मास्तिकायनो एक प्रदेश के अधर्मास्तिकायनो एक प्रदेश छे अने जीवना अनंता प्रदेश छे पुद्गलना पण अनंता प्रदेश छे तेवारें एवं भूतनय बोल्यो के प्रदेशने जे द्रव्यनी क्रिया गुण पर्याय अंगीकार करी देखिये ते समय ते प्रदेश ते द्रव्यनो गणिये ए प्रदेशमां सात नय कह्या.
हवे जीवमा सात नय कहे छे प्रथम नैगमनयनी मते जे गुण पर्यायवंत शरीर सहित ते जीव एटले शरीरमां जे