________________
काष्ट पाषाणनी मूर्त्ति तेने घोडा- हाथीनो आकार छे तो ते घोडा हाथी कहेवाय ते स्थापना जाणवी ए स्थापना निक्षेपो नाम निक्षेपें सहित होय जेम स्थापना सिद्ध जिनप्रतिमा प्रमुख ते सद्भाव स्थापना पण होय अने असद्भाव स्थापना पण होय अकृत्रिम जिनप्रतिमा ते नंदीश्वरद्वीप प्रमुखने विषे, अने जेह इहांनी जिनप्रतिमाते कृत्रिम ते सर्वं स्थापना | जागवी जेम चित्रामनी स्त्री जिहां मांडी होय तिहां साधु रहे नही. कारण के स्थापना स्त्री हे ते स्त्री तुल्य जाणवी तेमज जिनप्रतिमा जिनसमान जाणवी इहां कोइक अज्ञानी जीव कहे छे, जे स्थापनामां ज्ञानादि गुण नथी तेथी स्थापनाने मानवी पूजवी नही तेने उत्तर कहे छे के स्थापनारूप स्त्रीमां स्त्रीपणाना गुण नथी तो पण ते विकारनुं कारण थाय छे तेमज जिनप्रतिमां पण ध्याननुं कारण छे अने जे एम पुछे के हिंसा थाय छे अने भगवंते तो दयाने धर्म कह्यो छे तेहने एम कहेवुं जे परदेशी राजा केसी गुरुने वांदवाने अर्थे वीजे दीवसें मोहोडा आडंबरथी आव्यो ते वंदनामां हिंसा थयी पण लाभ कारण गणतां त्रोटो न थयो बीजो मल्लिनाथजीयें छ मित्र प्रतिबोधवाने पुतलीनो दृष्टान्त को ते हिंसा तो घणी थयी पण ते लाभना कारणमां गणी छे एम भाव शुद्ध होय तिहां हिंसा लागती नथी अथवा कोइक एम कहे छे जे अमे आपणे स्थानके बेठा नमुत्थुणं कहिसुं अमने लाभ थासे ते खरो पण भगवती सूत्रमां भगवानने वंदनाने अधिकारें तो तिहां जइ वंदना करचानुं फल महोदुं कयुं छे तथा निक्षेपाने अधिकारें एम कनुं जे भाव निक्षेपो एकलो धाय नही पण नाम स्थापना तथा द्रव्य ए ऋण मिल्या भाव निक्षेपो धाय माटे स्थापना अवश्य मानवी हवे जे स्थापना न माने तेने कहिये जे चित्रामनी मूर्त्तिने हिंसाना परिणामथी फाडे तेहने हिंसा लागे ।