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| विषयाभिलाष सहित हे तो ते जीव अम्रतीज के एम ऋजुसूत्रनुं मानवु छे ते ऋजुसूत्रना वे भेद छे एक सूक्ष्म ऋजु सूत्र ते एम कहे जे सदा काल सर्व वस्तुमां एक वर्त्तमानसमय वर्त्ते थे एटले जे जीव गयाकालें अज्ञानी हतो अने अनागत कालें अज्ञानी भावें अज्ञानी थशे एम बेहुकालनी अपेक्षा न करे पण एक वर्त्तमान समये जे जेवो तेने तेवो कहे ते सूक्ष्म ऋजु सूत्र कहियें अने महोदा बाह्यपरिणामग्रहे ते स्थूल ऋजुसूत्र नय जाणवी एटले ऋजुसूत्र नय कह्यो.
हवे शब्द नय कहे छे जे वस्तु गुणवंत अथवा निर्गुण ते वस्तुने नामकही बोलावियें जे भाषावर्गणाथी शब्द पणे वचन गोचर धाय ते शब्द नय जे कारणे अरूपी द्रव्य वचनथी ग्रह्याजाय नही पण वचनथी कहेबा ते शब्द नय कहियें इहां जे शब्दनो अर्थ होय तेपणा जे वस्तुमा वस्तुपण पामियें तेवारें ते वस्तु शब्दनय कहिये जेम घटनी चेष्टाने करतो होय ते घट ए शब्दनयमां व्याकरणथी नीपना अने बीजा पण सर्व शब्द लीधा ते शब्दनयना चार भेद छे १ नाम २ स्थापना ३ द्रव्य ४ भाव -अने चार निक्षेपाना पण एहिज नाम छे.
१ पहेलो नाम निक्षेपो ते आकार तथा गुणरहित वस्तुने नाम करी बोलाववो जेम एक लाकडीनो कटको लेइने कोइ के तेहने जीव एवं नाम कयुं ते नाम जीव जाणवुं जेम काली दोरीने सांपनी बुद्धियें करी घावहणे तेहने सांपनी हिंसा लागे ए नाम सर्प धयुं एवीज रीते नाम तप अथवा नाम लिद्ध जेम वड प्रमुखने सिद्धवड एम कही बोलावे छे ते नाम निक्षेपो कहियें ए सूत्र साखे छे.
२ स्थापना निक्षेपो कहे छे जे कोइक वस्तुभां कोइक वस्तुनो आकार देखीने तेहने ते वस्तु कहे जेम चित्राम अथवा