________________
५
पांच द्रव्य भोग आवे मांटे कारण कया तथा घणों प्रतीमा ती संक्षेपे पटलं हे जे छ द्रव्यमां एक जीव द्रव्य कारण छे पांच द्रव्य अकारण छे ए पण वात घणीरीते मलती छे. माटे जे बहुश्रुत कहे ते खरं मारीधारणा प्रमाणे जीवद्रव्य कारण अने पांच द्रव्य अकारण एम संभवे छे” निश्चयनयथी छए द्रव्य कता छे अने व्यवहारनयें एक जीवद्रव्य कर्ता छे बाकी पांच द्रव्य अकर्ता छे. छ द्रव्यमां एक आकाशद्रव्य सर्व व्यापी छे अने पांच द्रव्य लोक व्यापी छे. छए । | द्रव्य एक क्षेत्रमां एकठां रह्यां छे पण एक बीजा साथे मली जाय नहीं ए छ द्रव्यनो विचार कह्यो.
हवे एकेका द्रव्यमां एक नित्य, बीजो अनित्य त्रीजो एक चोथे अनेक, पांचमो सत्, छट्ठो असत्, सातमो वक्तव्य, आठमो अवक्तव्य, ए आठ आठ पक्ष कहे छे.
धर्मास्तिकायना चार गुण निल छे तथा पर्यायमां धर्मास्तिकायनो एक खंध नित्य छे बाकीना देश प्रदेश तथा अगु रुलघु पर्याय अनित्य छे. अधर्मास्तिकायना चार गुण तथा एक लोक प्रमाण खंध नित्य छे अने एक देश बीजो प्रदेश त्रीजो अगुरुलघु ए त्रण पर्याय अनित्य हे. तथा आकाशास्तिकायना चार गुण तथा लोकालोकप्रमाणबंध नित्य हे | अने एक देश बीजो प्रदेश त्रीजो अगुरुलघु ए त्रण पर्याय अनित्य छे. तथा कालद्रव्यना चार गुण नित्य छे अने चार पर्याय अनित्य छे पुगल द्रव्यना चार गुण नित्य छे अने चार पर्याय अनित्य के जीवद्रव्यना चार गुण तथा ऋण पर्याय नित्य छे अने एक अगुरुलघु पर्याय अनित्य हे ए रीते नित्यानित्य पक्ष को.
हवे एक अनेक पक्ष कहे छे. एक धर्मास्तिकाय बीजो अधर्मास्तिकाय ए वे द्रव्यनो खंधलोकाकाश प्रमाण एक छे