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________________ अने गुण अनंता के पर्याय अनंता के प्रदेश असंख्याता छे तेणेंकरी अनेक छे, आकाश द्रव्यनो लोकालोक प्रमाण खंध एक के अने गुण अनंता है पर्याय अनंता है प्रदेश अनंता छे माटे अनेक छे, काल द्रव्यनो वर्त्तनारूप गुण एक छे | अने गुण अनंता छे पर्याय अनंता के समय अनंता छे केमके अतीत काले अनंता समय गया अने अनागतकाले अनंता समय आवशे. तथा वर्त्तमानकाले समय एक छे माटे अनेक पक्ष छे पुद्गल द्रव्यना परमाणु अनंता छे ते एकेक | परमाणुमा अनंतागुण पर्याय छे ते अनेक पछे अने सर्व परमाणुमा पुलपर्ण ने एहज के माटे एक छे. जीवद्रव्य अनंता छे एकेका जीवमां प्रदेश असंख्याता छे तथा गुण अनंता के पर्याय अनंता छे ते अनेकपणुं छे पण जीवितव्यपणुं सर्व जीवोनुं एकसरीखुं छे माटे एक पणुं छे इहां शिष्य पूछे छे जे सर्व जीव एक सरीखा छे तो मोक्षना जीव सिद्ध परमानंदमयी देखाय छे अने संसारी जीव कर्म वश पड्या दुःखी देखाय छे अने ते सर्व जुदाजुदा देखाय छे ते केम ? तेहने गुरु उत्तर कहे छे के निश्चयनये तो सर्व जीव सिद्ध समान के माटेज सर्व जीव कर्म खपाबीने सिद्ध थाय छे तेथी सर्व जीवनी सत्ता एक छे. फरि शिष्य पुछे छे के जो सर्व जीव सिद्ध समान कहो छो तो अभव्य जीव पण सिद्ध तो मोक्ष जता नथी तेहने उत्तर जे अभव्यने कर्म चीकणा छे अने अभव्यमां परावर्त्त धर्म माटे तेनो एहवोज स्वभाव हे जे मोक्षे जपुंज नथी अने भव्य जीवमां परावर्त्त धर्म के माटे कारण सामग्री मिले पलटण पामे गुणश्रेणी घढी मोक्षं करी सिद्ध धाय पण जीवना मुख्य आठ रुचज प्रवेश जे छे ते निश्चय नयथी भव्य समान छे एम ठे अने ते नथी तेथी सिद्ध थता नथी।
SR No.090175
Book TitleJivvicharadiprakaransangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJindattsuri Gyanbhandar Surat
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size7 MB
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