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________________ ७६४ सोलह महाबह की तालिका परिशिष्ट : ३ सोलह महाद्रह की तालिका आयाम (लम्बाई) क्रम ब्रहनाम विष्कम्भ (चौड़ाई) उद्वेध (गहराई) दस योजन पर्वत का नाम जम्बूद्वीप में लघुहिमवान पर्वत महा हिमवान पर्वत निषध पर्वत नीलवन्त पर्बत रुक्मी पर्वत शिखरी पर्वत देवकुरु मेंचित्र-विचित्रकूट पर्वत एक हजार योजन दो हजार योजन चार हजार योजन पांच सौ योजन एक हजार योजन दो हजार योजन पद्मद्रह महापद्मद्रह तिगिछिद्रह केसरीद्रह महापुण्डरीकद्रह पुण्डरीकद्रह दो हजार योजन एक हजार योजन एक हजार योजन पाँच सौ योजन एक हजार योजन पाँच सौ योजन वस योजन निषधद्रह देवकुद्रह सूरद्रह सूलसद्रह विद्युत्प्रभद्रह उत्तरकुरु में यमक पर्वत नीलवन्तद्रह उत्तरकुरुद्रह चन्द्रद्रह ऐरवतद्रह माल्यवन्तद्रह द्रहनाम देवीनाम भवन का आयाम निष्कम्म तीनों द्वारों को पीठिका विष्कम्भ धृतिदेवी पद्मद्रह श्रीदेवी एक कोस आधा कोस पाँच सौ धनुष ढाई सौ धनुष महापद्मद्रह ह्रीदेवी तिगिछिद्रह केशरीद्रह कीर्तिदेवी महापुण्डरीकद्रह बुद्धिदेवी पुण्डरीकद्रह लक्ष्मीदेवी - (शेष पृष्ठ ७६३ का) (घ) नीलवन्त वर्षधर पर्वत के समीप दक्षिण में आठ रक्ताकुण्ड हैं और आठ रक्तावती कुण्ड हैं-इनसे निकलने वाली आठ रक्ता नदियाँ, आठ रक्तावती नदियाँ वप्रादि आठ विजयों का विभाजन करती हुई शीतोदा नदी में मिलती हैं। ये गंगा-सिन्धु नदियाँ तथा रक्ता-रक्तावती नदियाँ महाविदेह की हैं। भरतक्षेत्र की गंगा-सिन्धु नदियों से और ऐरवत क्षेत्र की रक्ता रक्तवती नदियों से भिन्न हैं। (ङ) ग्राहावती कुण्ड आदि बारह कुण्डों से ग्राहावती आदि बारह अन्तर नदियाँ निकलती हैं। इनमें से ग्राहावती आदि छह नदियाँ शीता नदी में मिलती हैं । क्षीरोदा आदि छह नदियाँ शीतोदा नदी में मिलती हैं। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति वक्षस्कार ४ सूत्र ६५ में "जहेव रोहिअंसाकुण्डे तहेव" यह कथन है-तदनुसार ग्राहावती कुण्ड आदि बारह कुण्डों का प्रमाण रोहितांसप्रपात कुण्ड के समान है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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