________________
परिशिष्ट : ३
क्रम
१.
३.
४.
५.
क्रम
१.
२.
३.
४.
५.
क्रम
१.
२.
३.
५.
६.
ब्रहनाम
निषधद्रह
देवकुग्रह
सूरद्रह
सुलसद्रह
विद्युत्द्रह
ब्रहनाम
देवकुरु में निषधादि पाँच ग्रह तथा ब्रहदेवों के भवन एवं भवनद्वारों का प्रमाण गणितानुयोग ७६५
देवकुरु में निषधादि पाँच ग्रह तथा ग्रहदेवों के भवन एवं भवनद्वारों का प्रमाण
विष्कम्भ
उत्तर-दक्षिण द्वारों की ऊंचाई
नीलवन्तद्रह
उत्तरकुरुद्रह
चन्द्रद्रह
ऐतह
पर्वत का नाम
लघुहिमवन्तपर्वत
पर्वत
महाहिमवन्तपर्यंत
ब्रहदेवनाम
निषधदेव
देव कुरुदेव
सूरदेव
नीलवन्तपर्वत
स्वमीपर्वत
शिखरीपर्वत
नीलवन्तदेव
उत्तरकुरुदेव
चन्द्रदेव
ऐरवतदेव
माल्यवन्तदेव
भवन आयाम
सुलसदेव विद्युत्प्रभदेव
उत्तरकुरु में नोलवन्तादि पांचद्रह तथा ब्रहदेवों के भवन एवं भवन -द्वारों का प्रमाण
ग्रहदेवनाम
द्रहदेव भवन का
विष्कम्भ
उत्तर-दक्षिण द्वारों
आयाम
की ऊँचाई
एक कोस
ब्रहनाम
पद्मद्रह
महापद्मद्रह
केशरीब्रह
""
१. स्थानांग० ३, उ० ४, सूत्र १६७ ।
२. स्थानांग० २, उ०३, सूत्र ८८ ॥
३. स्थानांग० २, उ०३, सूत्र ८८ ।
४. स्थानांग० २, उ०३, सूत्र ८८ ।
पुण्डरीकद्रह
23
"
एक कोस
महापुण्डरीकद्रह
"
23
"
क्रम
१.
२.
३.
१.
२.
१.
२.
१.
२.
१.
२.
आधा कोम
१.
२.
"1
३.
माल्यवन्तद्रह
"
निषधादि दस द्रह- देवों की राजधानियाँ अन्य जम्बूद्वीप में अपनी-अपनी दिशाओं में बारह हजार योजन विस्तार वाली हैं ।
छह वर्षधर पर्वतों के ग्रहों से निकलने वाली चौदह नदियाँ
"1
आधा कोस
33
ار
"
द्वारदिशा
पूर्वद्वार
पश्चिमद्वार
उत्तरद्वार
दक्षिणद्वार
पाँच सौ धनुष
उत्तरद्वार
दक्षिणद्वार
उत्तरद्वार
उत्तरद्वार
दक्षिणद्वार
उत्तरद्वार
दक्षिणद्वार
पूर्व द्वार
पश्चिमार
दक्षिणद्वार
क्रम
१.
२.
१.
२.
१.
२.
१.
२.
१.
२.
ار
१.
२.
"
३.
ار
"
पाँच सौ धनुष
33
""
11
विष्कम्भ
ढाई सौ धनुष
11
विष्कम्भ
ढाई सौ धनुप
५. स्थानांग० २, उ०३, सूत्र ८८ ।
६. (क) स्थानांग ० ३, उ० ४, सूत्र १६७ ।
(ख) जम्बू० वक्ष० ४, सूत्र ७४ ।
11
31
नवियाँ
गंगानदी
१
२
सिन्धुनदी रोहितांनदी ३
रोहितानदी
'हरिकांतानदी ५ हरिसलिलानदी ६
शीतोदानदी ७ नारीकास्ताब्दी
८
शीतानदी ६
रूप्यकूलानदी १० नरकान्तानदी ११
रक्तानदी १२ रक्तवतीनदी १३ सुवर्णकूलानदी १४