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परिशिष्ट :३
पूर्व विदेह और अपरविदेह में छिहत्तरकुण्ड तथा उनका प्रमाण
गणितानुयोग
७६३
पूर्वविदेह और अपरविदेह में छिहत्तर कुण्ड तथा उनका प्रमाण' क्रम कुण्डनाम
आयाम विष्कम्भ
परिधि
गहराई १-१६. सोलहगंगाकुण्ड साठ योजन
साठ योजन एक सौ निव्वे योजन से कुछ अधिक दस योजन १७-३२. सोलहसिन्धुकुण्ड ३३-४८. सोलहरक्ताकुण्ड ४६-६४. सोलहरक्तावतीकुण्ड
ग्राहावतीकुण्ड एक सौ बीस योजन एक सौ बीस योजन तीन सौ अस्सी योजन में कुछ कम दस योजन
द्रहावतीकुण्ड ६७. पकावतीकुण्ड
तप्तजलाकुण्ड मत्तजलाकुण्ड उन्मत्तजलाकुण्ड क्षीरोदाकुण्ड शीतश्रोताकुण्ड
अंतोवाहिनीकुण्ड ७४. उमिमालिनीकुण्ड
फेनमालिनीकुण्ड गम्भीरमालिनीकुण्ड
-(शेष पृष्ठ ७६२ का) जम्बू० वक्ष० ४ सूत्र ७४ में गंगाप्रपातकुण्ड का विस्तृत वर्णन है और रोहितांस प्रपातकुण्ड का संक्षिप्त वर्णन है। सूत्र ८० में रोहित प्रपातकुण्ड और हरिकान्त प्रपातकुण्ड का संक्षिप्त वर्णन है। सूत्र ८४ में सीतोद प्रपातकुण्ड का संक्षिप्त वर्णन है । इस प्रकार केवल पाँच कुण्डों का वर्णन उपलब्ध है शेष 8 में से ८ के सम्बन्ध में समान प्रमाण सूचक संक्षिप्त वाचना के पाठ उपलब्ध हैं, केवल एक सीता प्रपातकुण्ड के आयामादि के सम्बन्ध में समान आयामादि सूचक संक्षिप्त वाचना का पाठ उपलब्ध नहीं है।
सूत्र ७४ में रोहितांस प्रपातकुण्ड का और सूत्र ८० में रोहित प्रपातकुण्ड का संक्षिप्त वर्णन देने की आवश्यकता नहीं वी क्योंकि दोनों कुण्डों के आयामादि समान हैं।
पाठकों की सुविधा के लिए चौदह कुण्डों के शीर्षक क्रमशः दिये हैं और किस कुण्ड के आयामादि किस कुण्ड के समान हैं यह टिप्पणों में स्पष्ट कर दिया गया है। जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति वक्षस्कार ६ सूत्र १२५ में "छावत्तरिमहाणइओ कुण्डप्पवहाओ" ऐसा कथन है-तदनुसार छिहत्तर महानदियाँ छिहत्तर कुण्डों से प्रवाहित होती हैं। छिहत्तर कुण्डों की गणना इस प्रकार हैसोलह गंगाकुण्ड हैं, सोलह सिन्धुकुण्ड हैं, सोलह रक्ताकुण्ड हैं, सोलह रक्तावतीकुण्ड हैं, और बारह अन्तर्नदियों के बारह कुण्ड हैं-ये सब मिलकर छिहत्तर कुण्ड हैं । इनसे छिहत्तर महानदियाँ निकलती हैं। (क) नीलवन्त वर्षधर पर्वत के समीप दक्षिण में आठ गंगाकुण्ड और आठ सिन्धुकुण्ड हैं-इनसे निकलने वाली आठ गंगा नदियाँ
और आठ सिन्धु नदियाँ कच्छादि आठ विजयों का विभाजन करती हुई शीतानदी में मिलती हैं। (ख) निषधवर्षधर पर्वत के समीप उत्तर में आठ गंगाकुण्ड और आठ सिन्धुकुण्ड हैं-इनसे निकलने वाली आठ गंगा नदियाँ
और आठ सिन्धु नदियाँ पद्मादि आठ विजयों का विभाजन करती हुई शीता नदी में मिलती हैं। (ग) निषध वर्षधर पर्वत के समीप उत्तर में आठ रक्ताकुण्ड और आठ रक्तावती कुण्ड हैं-इनसे निकलने वाली आठ रक्ता नदियाँ और आठ रक्तावती नदियाँ वत्सादि आठ विजयों का विभाजन करती हुई शीतोदा नदी में मिलती हैं।
(शेष पृष्ठ ७६४ पर)