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________________ ०५६ परिशिष्ट : २ , आरामुज्जाण काणण-वण-वणसंड, वणराईओ । आराम, उद्यान, कानन वन, वनखंड, वनराजि, देवकुल, देवकुल सभापवा धूम-खाइय-परिहास सभा, प्रपा, स्तूप, खातिका परिक्षा (साई), प्राकार, अट्टालिका, पागारट्टा लग - चरिय-दार गोपुर- तोरण-पासाद-घर-सरण चरिका द्वार, गोपुर, प्रासाद, गृह, शरण, लयन, आपण, -लेण आवण- सिंघाडग-तिय- चउक्क- चच्चर- चउमुह-महा- श्रृंगाटक, त्रिक, चतुष्क, चत्वर, चतुर्मुख, महापथ पथ, पह-पहा । 1 सग-रह---गिल्सि बिल्लि सोय-संमाणियलोही- लोहकडाह- कडुच्छ्रय आसण सतण-खंभ-मंड-मतोवगरणमाइणि, अज्जकालिगाई व जोयणाई मविज्जति । से समास तिविहे प (१) सूईअंगुले, (२) पयरंगुले, (२) घणंगुले । ( १ ) अंगुलायया एग पएसिया सेढी सूयीअंगुले । (२) सूई एशिया परंगुले, (३) पयरं सूईए गुणियं घणंगुले । प० एएस सूई अंगुल-परंगुन-गुना हिंतो अप्पेबाजावविरोसाहिए बा ? उ०- सव्वत्थोवे सूई अंगुले, परंतु असणे, घणंगले असंखेज्जगुणे से तं आयंगुले । माप-निरूपण प० - से किं तं उस्सेहंगुले ? उ०- उस्सेहंगुले अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा संग्रहणी गाहा— (१) परमाणु, (२) तसरेणू, (३) रहरेणू, (४) अग्गयं च बालस्स, (५), (६), (७)जयो अट्टगुणविया मो॥ ३. ५० - से किं तं परमाणू ? उ०- परमाणु दुबिहे पण्णत्ते, तं जहा (१) (२) वावहारिए प तत्थ णं जे सहमे से ठप्पे । रे-रे प से किसे बावहारिए ? उ०- वावहारिए अनंताणं सुहुम परमाणु पोग्गलाणं समुदय समिति समागमेणं से एगे वावहारिए परमाणु पोगले निष्फज्जइ । सूत्र २-३ शकट, रथ, यान, युग्म, गिलि, थिलि, शिबिका, स्यन्दमानिका, लौही, लोह कटाही, कटल्लिका, आसन, सतण, स्तम्भ, भांड, अमत्र उपकरण आदि अपने-अपने समय में उत्पन्न हुई वस्तुएँ तथा योजन आदि का नाप - आत्मांगुल से किया जाता हैं। यह आत्मांगुल संक्षेप में तीन प्रकार का है, यथा(१) सूच्यंगुल, (२) प्रतरांगुल और (३) घनांगुल । (१) एक अंगुल लम्बी तथा बाहुल्य की अपेक्षा एक प्रदेश प्रमाण (मोटी ) प्रदेश श्रेणी का नाम सूच्यंगुल है । (२) सूच्यंगुल को सूच्यंगुल के साथ गुणा करने पर प्रतरांगुल होता है। ( ३ ) प्रतर को सूच्यंगुल से गुणा करने पर घनांगुल होता है । प्र० – इनमें से सूची अंगुल - प्रतरांगुल घनांगुल-कौन किससे अल्प है, कौन किससे बहुत है ? उ०- सबसे कम सूच्यंगुल है । सूच्यंगुल से असंख्यात गुण प्रतरांगुल है । प्रतरांगुल से असंख्यात गुण घनांगुल है । इस प्रकार आत्मागुल का प्रमाण है । प्र० उधास क्या है ? उ० - उत्सेधांगुल अनेक प्रकार का कहा है, यथा संग्रहणी गाथा - (१) परमाणु ( २ ) त्रसरेणु, (३) रथरेणु, (४) बालाग्र, (५) लिक्षा, (६) यूका, (७) यव ये क्रमशः उत्तरोत्तर आठ गुने हैं । प्रo - परमाणु का स्वरूप क्या है ? उ०- परमाणु दो प्रकार का है, यथा (१) सूक्ष्म और ( २ ) व्यावहारिक परमाणु । जो सूक्ष्म परमाणु है, वह अव्याख्येय है, अतः वर्णन छोड़ दिया गया है। प्र० व्यावहारिक परमाणु क्या है ? उ०- वह व्यावहारिक परमाणु अनन्तानन्त सूक्ष्म परमाणु पुद्गलों के समुदय समिति समागम – एकीभवन रूप संयोगात्मक मिलन से उत्पन्न होता है । -
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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