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________________ सूत्र ५-६ परिशिष्ट : अधोलोक आवि से धर्मास्तिकाय आदि का स्पर्श उ०- गोयमा ! पुट्ठे फुसइ, नो अट्ठ ं फुसइ । प० तं भते ! कि ओगाढं अणोगाढं फुसइ, उ०- गोयमा ! ओगाढं फुसइ, तो अणोगाढं फुसइ । प० ० फुसइ तं कि मते ! अतरोगाढं फुसइ परंपरोगाढं फुस ? ? उ०- गोयमा ! अनंतरोगाढं फुसइ, नो परंपरोगाढं फुसइ । प० तं भंते ! कि अणु फुसइ, बायरं फुसइ ? उ०- गोयमा ! अणु पि फुसइ, बायरं पि फुसइ । प० तं भंते! कि उ फुसइ, तिरियं फुसइ, अहे फुसइ ? उ०- गोयमा ! उड्ड पि फुसइ, तिरियं पि फुसइ, अहे वि फुसइ । प० - तं भंते! कि आई फुसइ, मज्झे अंते फुसइ, प० - तं भंते ! कइ दिसि फुसइ ? उ०- गोयमा ! नियमा छद्दिसि फुसइ । फुसइ उ०- गोयमा ! आई पि फुसइ, मज्झे वि फुसइ, अंते वि फुसइ । ० भते ! कि सविसए फुस अविसए फुस ? उ०- गोयमा ! सविसए फुसइ, नो अविसए फुसइ । प० ! कि आपुज्यि फुस, अणागुपुज्यि फुस ? उ०- गोयमा । आपुच्फुिस, नो अणावि कुस अहोलोया धम्मत्थिकायाई पुसणा ६. प० -- अहे लोए ण भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं उ०- गोयमा ! सातिरेगं अद्धं कुरुइ । ? - भग. स. १, उ. ६, सु. ५ फुसइ ? गणितानुयोग XT उ०- गौतम ! स्पृष्ट को स्पर्श करता है, अस्पृष्ट को स्पर्श नहीं करता है । प्र० - भगवन् ! क्या उस अवगाढ को स्पर्श करता है या अनवगाढ को स्पर्श करता है ? या उ०- गौतम ! अवगाढ को स्पर्श करता है, अनवगाढ को स्पर्श नहीं करता है । प्रo - भगवन् ! क्या उस अनन्तरावगाढ को स्पर्श करता है, परम्परावगाढ को स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! अनन्तरावगाढ को स्पर्श करता है, परम्परावगाढ को स्पर्श नहीं करता है। प्र० - भगवन् ! क्या उस सूक्ष्म को स्पर्श करता है या स्थूल को स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! सूक्ष्म को भी स्पर्श करता है और स्थूल को भी स्पर्श करता है । प्र० - भगवन् ! क्या उस ऊर्ध्व - ऊपर को स्पर्श करता है, तिरछे को स्पर्श करता है, या नीचे को स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! ऊपर को भी स्पर्श करता है, तिरछे को भी स्पर्श करता है, नीचे को भी स्पर्श करता है । प्र० - भगवन् ! क्या उसे आदि में स्पर्श करता है, मध्य में स्पर्श करता है, अन्त में स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! आदि में भी स्पर्श करता है, मध्य में भी स्पर्श करता है, अन्त में भी स्पर्श करता है । प्र० - भगवन् ! क्या उसके स्वविषय को स्पर्श करता है, अविषय को स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! स्वविषय को स्पर्श करता है, अविषय को स्पर्श नहीं करता है । प्र० - भगवन् ! क्या उसे अनुक्रम से स्पर्श करता है, या विना अनुक्रम के स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! अनुक्रम से स्पर्श करता है, बिना अनुक्रम के स्पर्श नहीं करता है । प्र० - भगवन् ! उसे किस दिशा से स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! निश्चित छहों दिशाओं से स्पर्श करता है । अधोलोक आदि से धर्मास्तिकाय आदि का स्पर्श ६. प्र० -- भगवन् ! अधोलोक धर्मास्तिकाय का कितना स्पर्श करता है ? उ०- गौतम ! आधे से कुछ अधिक (धर्मास्तिकाय) का स्पर्श करता है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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