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________________ ७४४ लोकालोक-प्रज्ञप्ति लोकालोक के चरमाचरम पदों का अल्प-बहुत्व सूत्र - अलोगस्स चरिमाचरिम पयाणं अप्पबहुत्त- अलोक के चरमाचरम पदों का अल्प-बहुत्व८.५०-अलोगस्स णं भंते ! अचरिमस्स य चरिमाण य, ८. भगवन् ! अलोक के अचरिम, चरिम, चरिमान्त प्रदेश और चरिमंतपएसाण य, अचरिमंतपएसाण य, बन्वट्ठयाए अचरिमान्त प्रदेश, द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेशों की अपेक्षा, द्रव्य एवं पएसट्टयाए बब्वट्ठ-पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा प्रदेशों की अपेक्षा कौन किससे अल्प है, अधिक है, तुल्य हैं या वा बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा? विशेषाधिक है? २०-गोयमा ! सव्वत्थोवे अलोगस्स, उ०-गौतम ! द्रव्य को अपेक्षा से सबसे अल्प अलोक का दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे, एक अचरिम है। चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, चरिम असंख्यगुण हैं। अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियं । अचरिम और चरिम ये दो विशेषाधिक हैं । पएसट्टयाए सम्वत्थोवा अलोगस्स चरिमंत पएसा, प्रदेश की अपेक्षा से सबसे अल्प अलोक के चरिमान्त प्रदेश हैं। अचरिमंत पएसा अनन्तगुणा, अचरिमान्त प्रदेश अनन्तगुण हैं। चरिमंत पएसा य, अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसा- चरिमान्त प्रदेश और अचरिमान्त प्रदेश ये दोनों विशेषाहिया। धिक है। दव्वटुपएसट्टयाए-सव्वत्थोवे अलोगस्स एगे अचरिमे। द्रव्य एवं प्रदेश की अपेक्षा से सबसे अल्प अलोक का एक अचरिम है। चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, चरिम असंख्यगुण हैं। अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई। अचरिम और चरिम ये दो विशेषाधिक है। चरिमंत-पएसा असंखेज्जगुणा, चरिमान्त प्रदेश असंख्यगुण हैं । अचरिमंतपएसा अणंतगुणा, अचरिमान्त प्रदेश अनन्तगुण हैं। चरिमंत पएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसा- चरिमान्त प्रदेश और अचरिमान्त प्रदेश ये दोनों विशेषाहिया। -पण्ण० प० १०, सु० ७७६ धिक है। लोगालोगस्स चरिमाचरिमपयाणं अप्प-बहुत्तं- लोकालोक के चरमाचरम पदों का अल्प-बहुत्व६.५०-लोगालोगस्स णं भंते ! अचरिमस्स य चरिमाण य, ६.प्र०-भगवन् ! लोकालोक के अचरिम, चरिम, चरमान्त चरिमंत पएसाण य, अचरिमंत पएसाण य, दन्वट्ठयाए, प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश, द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की पएसट्ठयाए, बव्वट्ठ पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा अपेक्षा से, द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उ०-गोयमा ! सव्वत्थोवे लोगालोगस्स उ०-गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा से सबसे अल्प लोकालोक दव्वट्ठयाए एगमेगे अचरिमे, का एक अचरिम हैं। लोगस्स चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, लोक के चरिम असंख्यगुण हैं। अलोगस्स चरिमाई विसेसाहियाई, अलोक के चरिम प्रदेश विशेषाधिक है। लोगस्स य अलोगस्स य अचरिमं च चरिमाणि य दो लोकालोक के अचरिम और चरिम ये दोनों विशेषाधिक है। वि विसेसाहियाई। पएसट्टयाए सव्वत्थोवा लोगस्स चरिमंत पएसा, प्रदेशों की अपेक्षा से सबसे अल्प लोक के चरमान्त प्रदेश हैं। अलोगस्स चरिमंत पएसा विसेसाहिया, अलोक के चरमान्त प्रदेश विशेषाधिक है। लोगस्स अचरिमंत पएसा असंखेज्जगुणा, लोक के अचरिमान्त प्रदेश असंख्यगुण हैं। अलोगस्स अचरिमंत पएसा अनन्तगुणा, अलोक के अचरिमान्त प्रदेश अनन्तगुण हैं । लोगस्स य, अलोगस्स य चरिमंत पएसा य, अचरिमंत लोकालोक के चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश ये दोनों पएसा य, दो वि बिसेसाहिया। विशेषाधिक हैं। मा.
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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