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सूत्र६०
काल लोक : अढाई द्वीप में काल का प्रभाव
गणितानुयोग
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अड्ढाइज्जेसु दीवेसु कालाणुभावो
___ अढाई द्वीप में काल का प्रभाव६०. जंबुद्दीवस्स दोसु कुरासु मणुया सया सुसमसुसमुत्तमिड्ढि ६०. जम्बूद्वीप के दो कुरा में मनुष्य सदा सुषमसुषमा काल की
पत्ता पच्चुणुरुभवमाणा विहरंति, तं जहा-(१) देवकुराए रिद्धि को प्राप्त हैं और वे उसका अनुभव करते हुए विहरते हैं, चेव, (२) उत्तरकुराए चेव। ..
यथा-(१) देवकुरा, (२) उत्तरकुरा । एवं धायइसंडे दीवे पुरत्यिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। एवं पुक्खरवरदीवड्ढपुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपा के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। जंबुद्दीवस्स दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुत्तमिड्ढि पत्ता जम्बूद्वीप के दो क्षेत्रों में मनुष्य सदा सुषमकाल की रिद्धि पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-(१) हरिवासे चेव, को प्राप्त हैं और वे उसका अनुभव करते हुए विहरते हैं, यथा- (२) रम्मगवासे चेव।
(१) हरिवर्ष, (२) रम्यक्वर्ष । एवं धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। एवं पुक्खरवरदीवड्ढ पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। जंबुद्दीवस्स दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदुसमत्तमिड्ढि जम्बूद्वीप के दो क्षेत्रों में मनुष्य सदा सुषमदुषम काल की पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-(१) हेमवए चेव, रिद्धि को प्राप्त हैं और वे उसका अनुभव करते हुए विहरते हैं, (२) एरण्णवए चेव ।
यथा-(१) हैमवत, (२) हैरण्यवत । एवं धायइसंडे दीवे पुरत्थिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। एवं पुक्खरवरदीवड्ढ पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपा के पूर्वाधं और पश्चिमार्ध में भी। जंबुद्दीवस्स दोसु खेत्तेसु मण्या सया दुसमसुसमुत्तमिड्ढि जम्बूद्वीप के दो क्षेत्रों में मनुष्य सदा दुषमसुषम काल की पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-(१) पुत्वविदेहे रिद्धि को प्राप्त हैं और वे उसका अनुभव करते हुए विहरते हैं, चेव, (२) अवरविदेहे चेव ।
यथा-(१) पूर्वविदेह, (२) पश्चिमविदेह । एवं धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धे, पच्चत्यिमद्धे वि,
इसी प्रकार धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमाधं में भी। एवं पुक्खरवरदीवड्ढ पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमा में भी। जंबुद्दीवस्स दोसु वासेसु मणया छब्विहं पि कालं पच्चणुब्भव- जम्बूद्वीप के दो क्षेत्रों में मनुष्य छहों प्रकार के काल का माणा विहरंति, तं जहा-(१) भरहे चेव, (२) एरवए चेव। अनुभव करते हुए विचरते हैं, यथा-(१) भरत, (२) ऐरवत।
-ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६४ एवं धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी। -ठाण अ. २, उ. ३, सु.६६ एवं पुक्खरवरदीवड्ढ पुरथिमद्धे, पच्चत्थिमद्धे वि,
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमाधं में भी। -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. १०३ ।