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________________ ७३० लोक-प्रज्ञप्ति काल लोक : करण के भेद और उनके चर-थिर का प्रमाण चउत्थीए दिवा "बवं", राओ "बालवं"। पंचमीए दिवा "कोलवं", राओ "थीविलोअणं"। छट्ठीए दिवा "गराई", राओ "वणिज्जं"। सत्तमीए दिवा "विट्ठी", राऊो "बवं"। अट्ठमीए दिवा "बालब", राओ ' कोलवं"। नवमीए दिवा "थोविलोअणं", राओ "गराई"। दसमीए दिवा "वणिज्ज", राओ "विट्ठी"। एक्कारसीए दिवा "बवं", राओ "बालवं" । बारसीए दिवा "कोलवं", राओ "थोविलोअणं"। तेरसीए दिवा "गराई", राओ "वणिज्ज" । चउद्दसीए दिवा "विट्ठी", राओ "सउणी"। अमावासाए दिवा "चउप्पयं", राओ "गागं" । सुक्क पक्खस्स पडिवाए दिवा "किस्थुग्धं" करणं भवई। -जंबु० वक्ख. ७, सु० १५३ । चतुर्थी के दिन में बव करण, रात्रि में बालब करण । पंचमी के दिन में कोलव करण, रात्रि में स्त्रीविलोचन करण । छट्टी के दिन में गराइ करण, रात्रि में वणिज करण । सप्तमी के दिन में विष्टी करण, रात्रि में बब करण । अष्टमी के दिन में बालव करण, रात्रि में कोलव करण । नवमी के दिन में स्त्रीविलोचन करण, रात्रि में गराइ करण । दसमी के दिन में वणिज करण, रात्रि में विष्टी करण । एकादशी के दिन में बव करण, रात्रि में वालव करण । द्वादशी के दिन में कोलव करण, रात्रि में स्त्रीविलोचन करण । त्रयोदशी के दिन में गराइ करण, रात्रि में वणिज करण । चतुर्दशी के दिन में विष्टीकरण, रात्रि में शकुनी करण । अमावस्या के दिन में चतुष्पद करण, रात्रि में नाग करण। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन में किंस्तुघ्न करण होता है । दिन करण ज्ञान गणिततिथि तु द्विगुणी कृत्वा, हीनमेकेन कारयेत् । सप्तभिस्तु हरेद्भागं, शेषं करणमुच्यते ।। चर संज्ञक करण१. बवश्च, २. बालवश्चैव, ३. कौलव, ४. स्तैतिलस्तथा । ५. गरश्च, ६. वणिजो, ७. विष्टि सप्तैते करणानि च ।। स्थिर संज्ञक करण, कृष्ण-शुक्ल पक्षगतकरणकृष्णपक्षे चतुर्दश्यां, १. शकुनि पश्चिमे दले । २. चतुष्पदश्च, ३. नागश्च, अमावास्या दलद्वये ।। शुक्लप्रतिपदायां च, ४. किंस्तुघ्न प्रथमे दले । स्थिराण्येतानि चत्वारि, करणानि जगुर्बुधा ।। शुक्लप्रतिपदान्ते च, बवाख्य करणो भवेत् । एकादशश्च विज्ञ या, श्वर-स्थिर विभागतः ।। -शीघ्र बोध प्रकरण २, श्लोक ३४-३८ कृष्णपक्ष के करण शुक्लपक्ष के करण दिन रात रात १. बालव कौलव १. किस्तुघ्न बव २. तैतिल गरज २. बालव कौलव ३. वणिज विष्टी ३. तैतिल गरज ४. बव बालव ४. वणिज विष्टी ५. कौलव तैतिल ५. बव बालव ६. गरज वणिज ६. कौलव तैतिल ७. विष्टी बव ७. गरज वणिज ८. बालव कौलव ८. विष्टी बव ६. तैतिल गरज ९. बालव कौलव १०. वणिज विष्टी १०. तैतिल गरज ११. बव बालव ११. वणिज विष्टी १२. कौलव तैतिल १२. बव १३. गरज वणिज १३. कौलव तैतिल १४. विष्टी शकुनि १४. गरज वणिज १५. चतुष्पाद नाग १५. विष्टी बव बालव
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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