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लोक
गाहा
छच्चेव य अइरता, आइन्चाओ हवंति माणाइं । येय ओमरता पंवाहिति मानाई ।।
तिहीणं णामाई
५६. प० - ता कहं ते तिही ? आहिए ति वएज्जा ।
काल लोक तिथियों के नाम
:
सूरिम. पा. १२ सु. ७५
"
उ० – तत्थ खलु इमा वुविहा तिही पण्णत्ता, तं जहां(१) दिवसतही, (२) राई तिही प
प० - ता कहं ते दिवस तिही ? आहिए ति वएज्जा ।
उ०- ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस पण्णरस दिवसतिही पण्णत्ता तं जहा - ( १ ) णंबे, (२) मद्दे, (३) जए, (४) तुच्छे, (५) पुण्णे । पक्खस्स पंचमी ।
पुणरवि - (६) शंदे, (७) भद्दे, (८) जए, (९) तुच्छे, (१०) पुण्णे ।
पक्वस्स दसमी ।
पुणरवि - ( ११ ) णंदे, (१२) भद्दे, (१३) जए, (१४) तुच्छे, (१५) पुण्णे ।
पक्खस्स पण्णरस ।
एवं से तिगुणा तिहीओ सध्वसि दिवसाणं ।
प० - ता कहं ते राई तिही ? आहिइ त्ति वएज्जा ।
-
उ०- ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राई तिही पण्णत्ता तं जहा (१) उपवई, (२) भोगवई, (२) जसबाई (४) सम्बसिद्धा, (२) सुहणामा पुणरवि - (६) उग्गवई, (७) भोगवई, (८) जसवई, (६) सम्मसिद्धा, (१०) सुहणामा पुरव (११), (१२) गवई, (१३) जस रई (१४) सम्बसिद्धा, (१५) मुहणामा
एए तिगुणा तिहीओ सत्ये राई ।"
१ जंबु० वक्ख० ७, सु० १५२ ।
- सूरिय. पा. १०, पाहु. १५, सु. ४९ ।
सूत्र ५५-५६
गाथार्थ
छ अतिरिक्त रानियां आदित्य मासों में होती है।
छ अवम रात्रियाँ चान्द्र मासों में होती है ।
तिथियों के नाम
५६. प्र० - तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या-क्या हैं ) ? कहें ।
उ०- तिथियाँ दो प्रकार की कही गई हैं, यथा
(१) दिवस तिथि, (२) रात्रि तिथि
प्र० - दिवस तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या क्या हैं ?) कहें ।
उ०- प्रत्येक पक्ष में पन्द्रह-पन्द्रह दिवस तिथियाँ कही गई हैं, यथा - (१) नन्दा, (२) भद्रा, (३) जया, (४) तुच्छा, (५) पूर्णा,
ये पक्ष की पांच तिथियां है।
पुन: - (६) नन्दा, (७) भद्रा, (८) जया (१) तुच्छा, (१०) पूर्णा,
ये पक्ष की दस तिथियाँ हैं ।
पुनः - ( ११ ) ( नन्दा, (१२) भद्रा, (१३) जया, (१४) तुच्छा, (१५) पूर्णा,
ये पक्ष की पन्द्रह तिथियाँ हैं ।
इस प्रकार सब दिनों की त्रिगुण तिथियाँ हैं ।
प्र० - रात्रि तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या-क्या हैं ? कहें ।
उ०- प्रत्येक पक्ष की पन्द्रह-पन्द्रह रात्रि तिथियाँ हैं । यथा(१) उपवती (२) भोगवती, (३) यशवती (४) सर्वसिद्धा (५) शुभनामा
पुन: - ( ६ ) उग्रवती, (७) भोगवती, (८) यशवती, (१) सर्वसिद्धा. (१०) शुभनामा
पुनः- (११) उपवती (१२) भोगवती, (१३) यशवती (१४) सर्वसिद्धा, (१५) शुभनामा
ये सव रात्रियों की त्रिगुण तिथियां है।