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________________ ७२८ लोक गाहा छच्चेव य अइरता, आइन्चाओ हवंति माणाइं । येय ओमरता पंवाहिति मानाई ।। तिहीणं णामाई ५६. प० - ता कहं ते तिही ? आहिए ति वएज्जा । काल लोक तिथियों के नाम : सूरिम. पा. १२ सु. ७५ " उ० – तत्थ खलु इमा वुविहा तिही पण्णत्ता, तं जहां(१) दिवसतही, (२) राई तिही प प० - ता कहं ते दिवस तिही ? आहिए ति वएज्जा । उ०- ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस पण्णरस दिवसतिही पण्णत्ता तं जहा - ( १ ) णंबे, (२) मद्दे, (३) जए, (४) तुच्छे, (५) पुण्णे । पक्खस्स पंचमी । पुणरवि - (६) शंदे, (७) भद्दे, (८) जए, (९) तुच्छे, (१०) पुण्णे । पक्वस्स दसमी । पुणरवि - ( ११ ) णंदे, (१२) भद्दे, (१३) जए, (१४) तुच्छे, (१५) पुण्णे । पक्खस्स पण्णरस । एवं से तिगुणा तिहीओ सध्वसि दिवसाणं । प० - ता कहं ते राई तिही ? आहिइ त्ति वएज्जा । - उ०- ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राई तिही पण्णत्ता तं जहा (१) उपवई, (२) भोगवई, (२) जसबाई (४) सम्बसिद्धा, (२) सुहणामा पुणरवि - (६) उग्गवई, (७) भोगवई, (८) जसवई, (६) सम्मसिद्धा, (१०) सुहणामा पुरव (११), (१२) गवई, (१३) जस रई (१४) सम्बसिद्धा, (१५) मुहणामा एए तिगुणा तिहीओ सत्ये राई ।" १ जंबु० वक्ख० ७, सु० १५२ । - सूरिय. पा. १०, पाहु. १५, सु. ४९ । सूत्र ५५-५६ गाथार्थ छ अतिरिक्त रानियां आदित्य मासों में होती है। छ अवम रात्रियाँ चान्द्र मासों में होती है । तिथियों के नाम ५६. प्र० - तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या-क्या हैं ) ? कहें । उ०- तिथियाँ दो प्रकार की कही गई हैं, यथा (१) दिवस तिथि, (२) रात्रि तिथि प्र० - दिवस तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या क्या हैं ?) कहें । उ०- प्रत्येक पक्ष में पन्द्रह-पन्द्रह दिवस तिथियाँ कही गई हैं, यथा - (१) नन्दा, (२) भद्रा, (३) जया, (४) तुच्छा, (५) पूर्णा, ये पक्ष की पांच तिथियां है। पुन: - (६) नन्दा, (७) भद्रा, (८) जया (१) तुच्छा, (१०) पूर्णा, ये पक्ष की दस तिथियाँ हैं । पुनः - ( ११ ) ( नन्दा, (१२) भद्रा, (१३) जया, (१४) तुच्छा, (१५) पूर्णा, ये पक्ष की पन्द्रह तिथियाँ हैं । इस प्रकार सब दिनों की त्रिगुण तिथियाँ हैं । प्र० - रात्रि तिथियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या-क्या हैं ? कहें । उ०- प्रत्येक पक्ष की पन्द्रह-पन्द्रह रात्रि तिथियाँ हैं । यथा(१) उपवती (२) भोगवती, (३) यशवती (४) सर्वसिद्धा (५) शुभनामा पुन: - ( ६ ) उग्रवती, (७) भोगवती, (८) यशवती, (१) सर्वसिद्धा. (१०) शुभनामा पुनः- (११) उपवती (१२) भोगवती, (१३) यशवती (१४) सर्वसिद्धा, (१५) शुभनामा ये सव रात्रियों की त्रिगुण तिथियां है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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