________________
सूत्र ५४-५५
काल लोक : दिवस और रात्रियों के नाम
गणितानुयोग
७२७
७. इंदे मुद्धाभिसि ते य,
(७) इन्द्र मूर्धाभिषिक्त, (८) सोमनस, (९) धनंजय, ८. सोमणस, ६. धणंजए य बोद्धव्वे । १०. अत्थसिद्ध, ११. अभिजाए,
(१०) अर्थसिद्ध, (११) अभिजात, (१२) अत्याशन, १२. अच्चासणे, १३. सतंजए ॥२॥
(१३) सतंजय, १४. अग्गिवेसे, १५. उवसमे, दिवसाणं णामधेज्जाइं॥ (१४) अग्निवैश्य, (१५) उपशम, ये पन्द्रह दिनों के नाम हैं। प०–ता कहं ते राईओ पण्णत्ताओ ? आहिए त्ति वएज्जा। प्र०-रात्रियाँ कितनी हैं (और उनके नाम क्या-क्या हैं) ?
कहेंउ०–ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस पण्णरस राईओ २०-प्रत्येक पक्ष की पन्द्रह-पन्द्रह रात्रियाँ कही गई हैं,
पण्णत्ताओ, तं जहा-पडिवाराई, बितियाराई, तति- यथा-प्रतिपदा रात्रि, द्वितीया रात्रि, तृतीया रात्रि, चतुर्थी याराई, चउत्थीराई, पंचमीराई, छट्ठीराई, सत्तमीराई, रात्रि, पंचमी रात्रि, षष्ठी रात्रि, सप्तमी रात्रि, अष्टमी रात्रि, अट्ठमीराई, नवमीराई, बसमीराई, एक्कारसीराई, नवमी रात्रि, दशमी रात्रि, एकादशी रात्रि, द्वादशी रात्रि, त्रयोबारसीराई, तेरसीराई, चउद्दसीराई, पण्णरसीराई। दशी रात्रि, चतुर्दशी रात्रि, पन्द्रहवीं रात्रि, ता एयासि णं पण्णरसण्हं राईणं णामधेज्जा पण्णत्ता, इन पन्द्रह रात्रियों के पन्द्रह नाम कहे गये हैं, यथातं जहागाहाओ
गाथार्थ१. उत्तमा य, २. सुणक्खत्ता,
(१) उत्तमा, (२) सुनक्षत्रा, (३) एलापत्या, (४) यशोधरा, ३. एलावच्चा, ४. जसोधरा ॥ ५. सोमणसा चेव तहा,
(५) सोमनसी, (६) श्रीसम्भूता, ६. सिरिसंभूता य बोधन्वा ॥१॥ ७. विजया य, ८. वेजयंती
(७) विजया, (८) वैजयन्ती, (९) जयन्ती, (१०) अपराहै. जयंति, १०. अपराजिया य, ११. गच्छाय। जिता. (११) गच्छा, १२. समाहारा चे ३ तहा,
(१२) समाहारा, (१३) तेजा, (१४) अतितेजा, १३. तेयाय तहा य, १४. अतितेया ॥२॥ १५. देवाणंदानिरती, रयणीणं णामधेज्जाई॥ (१५) देवानन्दा-रात्रि, ये पन्द्रह रात्रियों के नाम हैं ।
-सूरिय. पा. १०, पाहु. १४, सु. ४८ । अवम-अइरित्तरत्ताणं संखा हेउंच
अवम रात्रियों की और अतिरिक्त रात्रियों की संख्या और
उनके हेतु५५. तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पण्णत्ता, त जहा
५५. ये छ अवम रात्रियाँ (क्षय तिथियाँ) कही गई हैं, यथा(१) तइए पन्वे, (२) सत्तमे पव्वे, (३) एक्कारसमे पव्वे, (१) तृतीय पर्व में, २. सप्तम पर्व में, (३) इग्यारहवें पर्व में, (४) पण्णरसमे पम्वे, (५) एगूगवीसइमे पव्वे, (६) तेवीस- (४) पन्द्रहवें पर्व में, (५) उन्नीसवें पर्व में, (६) तेवीसवें पर्व इमे पव्वे । तत्य खलु इमे छ अतिरत्ता पण्णता, तं जहा
__ ये छ अतिरिक्त रात्रियाँ (वृद्धि तिथियाँ) कही गई हैं, यथा(१) चउत्थे पव्वे, (२) अट्ठमे पव्वे, (३) बारसमे पव्वे, (१) चतुर्थ पर्व में, (२) अष्टम पर्व में, (३) बारहवें पर्व में, (४) सोलसमे पव्वे, (५) वीसइमे पब्वे, (६) चउवीसइमे पव्वे । (४) सोलहवें पर्व में, (५) बीसवें पर्व में, (६) चौबीसवें पर्व में,
१ जंबु० वक्ख० ७, सु०१५२ । २ (क) पर्वणि-पक्षे । यहाँ पर्व-पक्ष का पर्यायवाची है। (ख) ठाण ६, सु. ५२४ । ३ छ अवम रात्रियाँ (क्षय तिथियाँ)-१. तृतीय पर्व, भाद्रपद शुक्लपक्ष, २. सप्तम पर्व, कार्तिक शुक्लपक्ष, ३. इग्यारहवाँ पर्व, पौष
शुक्लपक्ष, ४. पन्द्रहवां पर्व, फाल्गुन शुक्ल पक्ष, ५. उन्नीसवाँ पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष, ६. तेईसवाँ पर्व आषाढ शुक्ल पक्ष । ४ छ अतिरिक्त रात्रियाँ वृद्धि तिथियाँ-१. चतुर्थ पर्व, आश्विन कृष्ण पक्ष, २. अष्टम पर्व मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष, ३. बारहवाँ पर्व
माघ कृष्ण पक्ष, ४. सोलहवाँ पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष, ५. बीसवां पर्व ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष, ६. चौबीसवाँ पर्व श्रावण कृष्ण पक्ष ।