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________________ सूत्र ४१ काल लोक : द्वितीय चन्द्र संवत्सर गणितानुयोग ७१६ उ०–ता अटसए एगूणवीसे मुहत्ताणं, सत्तावीसं च सत्तढि- उ०—उस "नक्षत्र मास" के आठ सौ उन्नीस मुहूर्त के सड भागे मुहत्तस्स मुहत्तग्गे णं, आहिए त्ति वएज्जा। सठ भागों में से सत्तावीस भाग होते हैं । ५०–ता एएसि णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा णक्खत्ते (घ) प्र०-बारह नक्षत्र मासों का एक नक्षत्र संवत्सर होता संवच्छरे, ता से णं केवइए राइंदियग्गे गं ? आहिए है। उसके अहोरात्र कितने होते हैं ? कहें । त्ति वएज्जा। उ०-ता तिणि सत्तावीसे राइंबियसए एक्कावन्नं च सत्तद्वि- उ.-उस "नक्षत्र संवत्सर" के तीन सौ सत्ताईस अहोरात्र ...... भागे राइंदियस्स राइदियग्गे णं आहिए त्ति वएज्जा। और एक अहोरात्र के सडसठ भागों में से इक्कावन भाग होते हैं । ५०–ता से णं केवइए मुहुत्तग्गे णं? आहिए ति वएज्जा। (ङ) प्र०-उस "नक्षत्र संवत्सर" के पूर्ण मुहूतं कितने होते हैं ? कहें। उ०–ता णव मुहुत्तसहस्सा अट्ट य बत्तीसे मुहत्तसए छप्पनं उ०-नौ हजार आठ सौ बत्तीस मुहूर्त और एक मुहुर्त के च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गे णं, आहिए त्ति सडसठ भागों में से छप्पन भाग होते हैं । वएज्जा। बितियं चंदसंवच्छरं द्वितीय चन्द्र संवत्सरप०–ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छ- (क) इन पाँच संवत्सरों में से द्वितीय चन्द्र संवत्सर का चन्द्र रस्स चंदे मासे तीसमुहुत्ते णं तीसइमुहुत्ते णं अहोरत्तेणं मास तीस-तीस मुहुर्त के अहोरात्र के मापने पर कितने अहोरात्र मिज्जमाणे केवइए राइंदियग्गे गं ? आहिए त्ति होते हैं ? कहें । वएज्जा। उ०—ता एगणतीसं राइंदियाई बत्तीसं बासट्ठिभागा राइंदि- उ०-उनतीस अहोरात्र और एक अहोरात्र के बासठ भाग! यस्स राइंदियग्गे णं आहिए त्ति वएज्जा। में से बत्तीस भाग होते हैं। ५०-ता से णं केवइए मुहुत्तग्गे गं? आहिए ति वएज्जा। (ख) प्र०—उस “चन्द्र मास" के मुहूर्त कितने होते हैं ? (कहें।) उ०–ता अट्ठपंचासए मुहुत्ते तेत्तीसं बासट्ठिभागा मुहत्तग्गे उ०-आठ सौ पचास मुहूर्त और एक मुहूर्त के बासठ भागों __णं, आहिए त्ति वएज्जा। में से तेतीस भाग होते हैं। ५०-ता एस गं अद्धा दुवालसखुत्तकडा चंदे संवच्छरे, ता (ग) प्र०-बारह चन्द्र मासों का एक चन्द्र संवत्सर होता है, से णं केवइए राइंदियग्गे गं? आहिए ति वएज्जा। उसके कितने अहोरात्र होते हैं ? कहें । .. उ०–ता तिन्नि चउप्पन्ने राइंदियसए दुवालस य बासट्ठिभागा उ०-उस “चन्द्र संवत्सर" के तीन सौ चौपन अहोरात्र और राइंदियग्गे णं, आहिए त्ति वएज्जा। एक अहोरात्र के बासठ भागों में से बारह भाग होते हैं। प०-ता से णं केवइए मुहुत्तग्गे णं? आहिए त्ति वएज्जा। (घ) प्र.-उस “चन्द्र संवत्सर" के मुहूर्त कितने होते हैं ? (कहें ?) उ०–ता बसमुहुत्तसहस्साई छच्च पणवीसे मुहुत्तसए पण्णासं उ०-दस हजार छ सो पच्चीस मुहूर्त और एक मुहूर्त के च बासट्ठिभागे मुहुत्ते णं आहिए ति वएज्जा। बासठ भागों में से पचास भाग जितने होते हैं । ततिय उडुसंवच्छरं तृतीय ऋतु संवत्सर५०–ता एएसि गं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चस्स उडुसंवच्छ- (क) प्र०-इन पांच संवत्सरों में से तृतीय ऋतु संवत्सर के रस्स उडुमासे तीसइ मुहुत्ते णं, तीसइ मुहुत्ते णं मिज्ज- ऋतुमास तीस-तीस मुहूर्त से मापने पर कितने अहोरात्र होते हैं ? माणे केवइए राइंदियग्गे गं? आहिए त्ति वएन्जा। कहें। उ०-ता तीसं राइंबियाणं राइवियग्गे णं आहिए ति उ०-उस "ऋतुमास" के तीस अहोरात्र होते हैं ? वएज्जा।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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