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लोक-प्रज्ञप्ति
काल लोक : पंचम अभिवधित संवत्सर
सूब ४०-४१
पंचमं अभिवढिय संवच्छरं
पंचम अभिवधित संवत्सर(क) प०-ता एएसि गं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स (क) प्र०-इन पांच संवत्सरों में से पांचवें अभिवधित संवत्सर
अभिवढियसंवच्छरस्स के आदी? आहिए त्ति का प्रारम्भ काल कैसा है ? कहें।
वएज्जा। उ०-ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जव: उ०-चतुर्थ चन्द्र संवत्सर के पर्यवसान काल बाद अन्तर
साणे, सेणं पंचमस्स अभिवढिय संवच्छरस्स रहित प्रथम समय ही पंचम अभिवधित संवत्सर का प्रारम्भ आदी, अणंतरपुखक्खडे समए।
काल है। (ख) प०-ता से गं किं पज्जवसिए ? आहिए त्ति (ख) प्र०-उसका पर्यवसान काल कैसा है ? कहें ।
वएज्जा। उ.-ता जे णं पढमस्स संवच्छरस्स आदी से णं उ०-प्रथम संवत्सर का प्रारम्भ काल तथा पंचम अभि
पंचमस्स अभिवड्ढिय संवच्छरस्स पज्जवसाणे वधित संवत्सर का अन्तर रहित अन्तिम समय उसका पर्यवसान अणंतरपच्छाकडे समए।
काल है। (ग) प०-तं समयं च णं चंदे के णं णक्खत्तेणं जोएइ? (ग) प्र०--उस समय चन्द्र किस नक्षत्र के साथ योग करता है?
(कहें।) ___ उ०–ता उत्तराहिं आसाढाहिं। उत्तराणं आसाढाणं उ०-उत्तराषाढा नक्षत्र के साथ योग करता है। उत्तराचरमसमए।
षाढा के अन्तिम समय में योग करता है। (घ) प०-तं समयं च णं सूरे के णं णक्खत्तेणं जोएइ? (घ) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र के साथ योग करता है ? उ०-ता पुस्सेणं,
उ०-पुष्य नक्षत्र के साथ योग करता है। पुस्सस्स णं एक्कवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च पुष्य के इकवीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से बावट्ठिभागा, मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा तियालीस भाग तथा बासठवें भाग के अडसठ भागों में से तेतीस छत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा । लघुतम भाग अवशेष रहने पर “वह सूर्य के साथ योग करता है।"
-सूरिय. पा. ११, सु. ७१ पंचण्हं संवच्छराणं, मासाणं च राइंदिय-मुहत्तप्पमाणं- पाँच संवत्सरों और मासों के अहोरात्र तथा मुहूर्तों के
प्रमाण४१:१०–ता कति णं संवच्छरा? आहिए त्ति वएज्जा, ४१. (क) प्र०-संवत्सर कितने हैं ? कहें। उ.-तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पण्णत्ता तं जहा- उ०-यै पाँच संवत्सर कहे गये हैं यथा-(१) नक्षत्र
(१) णक्खत्ते, (२) चंदे, (३) उडु, (४) आइच्चे, संवत्सर, (२) चन्द्र संवत्सर, (३) ऋतु संवत्सर, (४) आदित्य (५) अभिवड्ढिए।
संवत्सर, (५) अभिवधित संवत्सर । पढम णक्खत्त-संवच्छरं
प्रथम नक्षत्र संवत्सर१०-ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स णक्खत्त (ख) प्र०-इन पाँच संवत्सरों में से प्रथम नक्षत्र संवत्सर
संवच्छरस्स णक्खत्तमासे तोसइ मुहत्ते गं तीसइ मुहुत्ते का नक्षत्र मास तीस-तीस मुहूर्त के अहोरात्र से मापने पर कितने णं अहोरत्ते गं मिज्जमाणं केवइए राइंदियग्गे गं? अहोरात्र का होता है ? कहें ।
आहिए त्ति वएज्जा। उ०–ता सत्तावीस राइंदियाई एक्कवीसं च सत्तट्ठिभागा उ०-उस "नक्षत्र मास" के सत्ताईस अहोरात्र और एक । राइवियस्स राइदियग्गे णं आहिए त्ति वएज्जा। अहोरात्र के सडसठ भागों में से इक्कीस भाग होते हैं। ५०–ता से णं केवइए मुहत्तग्गे गं ? आहिए ति वएज्जा। (ग) प्र०-उस "नक्षत्र मास" के कितने मुहुर्त होते है ?
: (कहें।)