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सूत्र ३६-४०
काल लोक : पाँच सवत्सरों का प्रारम्भ काल
गणितानुयोग
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ता गयट्टयाए णं चंदे संवच्छरे तिणि चउप्पण्णे एक अन्य मान्यतानुसार चन्द्र संवत्सर तीन सौ चौपन अहोराइंदियसए, दुवालस य बासद्विभागे राइंदियस्स, रात्र और एक अहोरात्र के बासठ भागों में से बारह भाग जितना आहिए त्ति वएज्जा
होता है। ता अहातच्चे णं चंदे संवच्छरे तिणि चउप्पण्णे एक अन्य मान्यता का यथार्थ विचार करने पर चन्द्र संवत्सर राइंदियसए, पंच य मुहुत्ते पण्णासं च बासट्ठि भागे तीन सौ चौपन अहोरात्र और एक मुहूर्त के बासठ भागों में से मुहुत्तस्स, आहिए ति वएज्जा,
पाँच भाग जितना होता है।
-सूरिय. पा. १२, सु. ७४ पंचण्हं संवच्छराणं, पारंभ-पज्जवसाणकालं चंद- पाँच संवत्सरों का प्रारम्भकाल, पर्यवसानकाल और चन्द्रसूराण-णक्खत्त संजोगकालं च
सूर्य के साथ नक्षत्रों के संयोग का काल४०. (क) प०–ता कहं ते संवच्छराणादी ? आहिए ति ४०. (क) प्र०-संवत्सरों का प्रारम्भकाल (पर्यवसानकाल और वएज्जा ।
उन संवत्सरों के पर्यवसान काल में चन्द्र-सूर्य के साथ नक्षत्रों के
संयोगकाल) कैसा है ? कहें। उ०-तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरे पण्णत्ते तं जहा- उ०-यहाँ ये पाँच संवत्सर कहे गए हैं यथा
(१) चंदे, (२) चंदे, (३) अभिवढिए, (४) (१) चन्द्र, (२) चन्द्र, (३) अभिवधित, (४) चन्द्र, (५) चंदे, (५) अभिवड्ढिए।
अभिवधित। पढमं चंद-संवच्छरं
प्रथम चन्द्र संवत्सर(ख) ५०–ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स (ख) प्र०-इन पाँच संवत्सरों में से प्रथम चन्द्र संवत्सर
चंदस्स संवच्छरस्स के आदी ? आहिए ति का प्रारम्भकाल कैसा है ? कहें।
वएज्जा। उ०-ता जे णं पंचमस्स अभिवढिय संवच्छरस्स उ०-पंचम अभिवधित संवत्सर के पर्यवसानकाल बाद
पज्जवसाणे, से णं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स अन्तर रहित प्रथम समय ही प्रथम चन्द्र संवत्सर का प्रारम्भआदी, अणंतरपुरक्खडे समए ।
काल है। (ग) ५०–ता से णं किं पज्जवसिए ? आहिए ति (ग) प्र०-उसका पर्यवसानकाल कैसा है ? कहें ।
वएज्जा। उ०--ता जे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आदी, से उ०-द्वितीय संवत्सर का प्रारम्भकाल तथा प्रथम चन्द्र
णं पढमस्स चंद-संवच्छरस्स पज्जवसाणे, अणंत- संवत्सर का अन्तर रहित अन्तिम समय उनका पर्यवसान पच्छाकडे समए।
काल है। (घ)प०-तं समय च णं चंदे केणं णक्खते णं जोएइ? (घ; प्र०-उस समय चन्द्र किस नक्षत्र के साथ योग करता
है ? कहें। उ०-ता उत्तराहिं आसाढाहिं,
उ०-उत्तराषाढा नक्षत्र के साथ योग करता है। उत्तराणं आसाढाणं छदुवीसं मुहुत्ता, छ दुवीसं उत्तरासाढा के छब्बीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में च बासट्ठिभागा, मुहुत्तस्स बासट्ठिभागं च से छब्बीस भाग तथा बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से सत्तद्विधा छित्ता चउप्पणं चुणियाभागा सेसा। चौवन लघुतम भाग अवशेष रहने पर "वह चन्द्र के साथ योग
करता है। (ङ) प०-तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्ते गं जोएइ ? (ङ) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र के साथ योग
करता है ? उ०-ता पुणव्वसुणा,
उ०-पुनर्वसु नक्षत्र के साथ योग करता है । पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता, अट्ठ य बासट्ठिभागा, पूनर्वसु के सोलह मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से
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