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________________ ७१४ लोक-प्रज्ञप्ति काल लोक : पाँच संवत्सरों का प्रारम्भ सूत्र ३६ पंचण्हां संवच्छराणं पारभं-पज्जवसाकालस्स समत्त- पाँच संवत्सरों का प्रारम्भ और पर्यवसान काल तथा उनके परूवणं समत्व का प्ररूपण३६. ५०-ता कया णं आदिच्च-चंदसंवच्छरा समादीया सम- ३६. प०-आदित्य संवत्सर और चन्द्र संवत्सर का समान पज्जवसिया? आहिए त्ति वएज्जा, प्रारम्भ एवं समान पर्यवसान काल कब होता है ? कहें। . उ०ता सर्टि एए आदिच्यमासा बार्टि एए य चंदमासा, उ०-साठ आदित्यमास और बासठ चन्द्रमास। एस णं अद्धा छखुत्तकडा टुवालसभयिता तीसं एए इनको छ से गुणा करके बारह का भाग देने पर तीस आदित्य आदिच्चसंवच्छरा, एक्कतीसं एए चंदसंवच्छरा, संवत्सर और इगतीस चन्द्र संवत्सर शेष रहते हैं । तया णं एए आदिच्च-चंदसंवच्छरा समादीया सम- तब (इतने संवत्सरों के बाद) आदित्य संवत्सरों का चन्द्र पज्जवसिया आहिए त्ति वएज्जा, संवत्सरों का समान प्रारम्भ काल एवं समान पर्यवसान काल कब होता है ? कहें। १०-ता कया णं एए आदिच्च-उडु-चंद-णक्खत्ता संवच्छरा प्र०-(१) आदित्य संवत्सर, (२) ऋतु संवत्सर, (३) चन्द्र समादीया, समपज्जवसिया? आहिए त्ति वएज्जा, संवत्सर और (४) नक्षत्र संवत्सरों का समान प्रारम्भ काल एवं समान पर्यवसान काल कब होता है ? कहें । उ० -ता सर्टि एए आविच्चा मासा, एट्टि एए उडमासा, उ०-(१) साठ आदित्य मास, (२) इगसठ ऋतुमास, बार्टि पए चंदमासा, सर्टि एए णक्खत्तमासा, (३) बासठ चन्द्रमास, (४) सडसठ नक्षत्र मास, एस णं अद्धा दुवालस खुत्तकडा दुवालसभयिता सहि इनका बारह से गुणा करके बारह का भाग देने पर साठ एए आइच्चा संवच्छरा, एगढेि एए उड़ संवच्छरा, आदित्य संवत्सर, (२) इकसठ ऋतु संवत्सर, (३) बासठ चन्द्र बाढेि एए चंदा संवच्छरा सट्ठि एए णक्खत्ता संवत्सर, (४) सडसठ नक्षत्र संवत्सर (शेष) रहते हैं। संवच्छरा, तया णं एए आइच्च-उडु-चंद-णक्खत्ता संवच्छरा समा- तब (इतने संवत्सरों के बाद) (१) आदित्य, (२) ऋतु, दीया, समपज्जवसिया, आहिए त्ति वएज्जा, (३) चन्द्र, (४) नक्षत्र संवत्सरों का समान प्रारम्भ काल एवं समान पर्यवसान काल होता है। ५०–ता कया गं एए अभिवड्ढिअ-आदिच्च-उडु-चंद प्र०-(१) अभिवधित, (२) आदित्य, (३) ऋतु, (४) चन्द्र, णक्खत्ता संवच्छरा समावीया समपज्जवसिया? (५) नक्षत्र संवत्सरों का समान प्रारम्भ काल एवं समान पर्यवआहिएत्ति वएज्जा, सान कब होता है ? कहें। उ०–ता सत्तावणं मासा, सत्त य अहोरत्ता, एक्कारस य उ०-सत्तावन मास, सात अहोरात्र, इग्यारह मुहूर्त के मुहुत्ता, तेवीसं वाट्टि भागामुहूत्तस्स एए अभिवड्ढिया बांसठ भागों में से तेवीस भाग, इतने अभिवधित मास, साठ मासा, सर्टि एए आइच्चा मासा, एगढेि एए उडमासा, आदित्य मास, इगसठ ऋतुमास, बासठ चन्द्रमास, सडसठ नक्षत्र बाढेि एए चंदमासा सर्ट्सि एए णक्खत्त मासा, मास में होता है । एस णं अद्धा छप्पण्ण-सयखुत्त कडा दुवालस भयिता- इतने काल को एक सौ छप्पन से गुणा करके बारह का भाग देने परसत्त सया चोयाला, एए णं अभिवड्ढिया संवच्छरा, (१) सात सौ चुम्मालीस अभिवधित संवत्सर, सत्तसया असीया, एए णं आइच्चा संवच्छरा, (२) सात सौ अस्सी आदित्य संवत्सर, सत्तसया तेणउया, एए णं उडु संवच्छरा, (३) सात सौ तिराणवे ऋतु संवत्सर, अट्ठसत्ता छल्लुत्तरा, एए णं चंदा संवच्छरा, (४) आठ सौ छ चन्द्र संवत्सर, एक सत्तरी अट्ठसया, एए णं णक्खत्ता संवच्छरा, (५) आठ सौ इकहत्तर नक्षत्र संवत्सर, (शेष) रहते हैं । तया णं एए अभिवढिअ-आइच्च-उडु-चंद-णक्खत्ता तब इतने संवत्सरों के बाद-(१) अभिवधित, (२) आदित्य, संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया, आहिए त्ति (३) ऋतु, (४) चन्द्र, (५) नक्षत्र संवत्सरों का समान प्रारम्भ वएज्जा , काल एवं समान पर्यवसान काल होता है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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