SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 885
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७१६ लोक- प्रज्ञप्ति काल लोक द्वितीय चन्द्र संवत्सर : मुहुत्तस्स बासट्टिभागं च सत्तद्विधा छत्ता वीस आठ भाग तथा बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से वीस लघुचुण्णिाभागा सेसा । तम भाग शेष रहने पर "सूर्य के साथ योग करता है । बितियं चंदसंवच्छरं (क) पं० ता एएसि णं पंचन्हं संबन्धराणं दोस्त चंद संच्छरस्स के आदी ? आहिए त्ति वएज्जा । उ०- ता जेणं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे, से णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आदी, अनंतर पुरखडे समए । (ख) ५०ता से कि पन्नदसिए ? आहिए सि वएज्जा । उ०- ता जेणं तच्चस्स अभिबढिय संत्रच्छरस्स आदी, से णं दोच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे अतरपच्छाकडे समए । (घ) १० तं समयं च गं चंदे के पक्खतेगं जोए ? उ०ता पुरवाहि सावाहि दुवाणं आसाहाणं सत्तमुहसा तेवणं च बावट्टिभागा, मुहुत्तस्स, बावट्टिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता इगतालीस चुणिया भागा सेसा । (घ) प० तं समयं चणं रेकेणं पखते जोए ? उ०- ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च यासट्टिभागा मुडुतरस, बासद्विभागं च सतद्विधा ऐसा सत्तष्णियाभागा सेसा । सूत्र ४० ततियं अभिवयं संवच्छ- (क) प० - ता एएसि णं पचण्हं संवच्छरणं तच्चस्स अभिवढिय संवच्छरस्स के आदी ? आहिए त्ति वएज्जा । उ०- ता जेणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे, सेणं तच्चस अभिवढिय संवच्छरस्स आदी अतरपुरखडे समए । 7 (ख) प०ता से पंपजवलिए? आहिए सि वएज्जा । उ०- ता जे गं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आदी, से णं तच्चस अभिवड्ढिय संवच्छरस्स पज्जव साणे अनंतर पच्छाकडे समए । द्वितीय चन्द्र संवत्सर (क) प्र० - इन पाँच संवत्सरों में से द्वितीय संवत्सर का प्रारम्भकाल कैसा है ? कहें । उ०- द्वितीय चन्द्र संवत्सर के पर्यवसान काल बाद अन्तर रहित प्रथम समय ही द्वितीय चन्द्र संवत्सर का प्रारम्भ काल हैं । (ख) प्र० - उसका पर्यवसान काल कैसा है ? कहें । उ०- तृतीय अभिर्वाधित संवत्सर का प्रारम्भकाल तथा द्वितीय चन्द्र संवत्सर का अन्तर रहित अन्तिम समय उसका पर्यवसानकाल है। (ग) प्र० - उस समय चन्द्र किस नक्षत्र के साथ योग करता है ? कहें । उ०- पूर्वाषाढा नक्षत्र के साथ योग करता है । पूर्वाषाढा के सात मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से त्रेपन भाग तथा बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से इगतालीस लघुतम भाग अवशेष रहने पर वह चन्द्र के साथ योग करता है । (घ) प्र० - उस समय सूर्य किस नक्षत्र के साथ योग करता है ? कहें । उ०- पुनर्वसु नक्षत्र के साथ योग करता है । पुनर्वसु के बियालीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से पैंतीस भाग तथा बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से सात लघुतम भाग अवशेष रहने पर सूर्य के साथ योग करता है । तृतीय अभिर्वाधित संवत्सर (क) प्र० – इन पाँच संवत्सरों में से तृतीय अभिवर्धित संवत्सर का प्रारम्भकाल कैसा है ? कहें । उ०- द्वितीय चन्द्र संवत्सर के पर्यवसान काल बाद अन्तर रहित प्रथम समय ही तृतीय अभिवर्धित संवत्सर का प्रारम्भ काल है । (ख) प्र० - उसका पर्यवसान काल कैसा हैं ? कहें । उ० – चतुर्थं चन्द्र संवत्सर का प्रारम्भ काल तथा तृतीय अभिर्वाधित संवत्सर का अन्तर रहित अन्तिम समय उसका पर्यंवसान काल है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy