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________________ सूत्र १८ काल लोक सूक्ष्म उद्धार पल्योपम का उदाहरण सहित स्वरूप प्ररूपण गणितानुयोग सोदाहरणं सुहम उद्धारपलिओदम सख्य-पवर्ण१८. १० - से किं तं सुहुम उद्धारपलिओ मे ? - उ०- मुहमे उद्धारपलिओयमे से जहा नामए पहलेसियाजोयणं आयाम विक्खंभेणं, जोयणं उदढं उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिणं । से पहले एवाहिय-हि-हिय जाव उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संस सन्निचिए भरिए वालग्गकोडी | तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्जाई खंडाई कज्जइ । ते गं वाला विट्ठी-ओगाहगाओ अरजभाग मेत्ता-सुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेज्जागुणा । ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जा, नो वाउ हरेज्जा, नो कुच्छज्जा, नो पलिविद्धंसेज्जा, नो पूइत्ताए हव्व मागच्छेज्जा । तओ णं समए समए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएवं काले से पहले खोजे मीरए निलंबे निहिए भवइ । ते णं सुहुमे उद्धारपलिओवमे । गाहा एएस पल्ला फोडाफोडी हवेज दसगुनिया | तं सुहुमस्स उद्धारसागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं । २० एहिमे उद्धारपलिभोषम-सागरोधमेह कि पओयणं ? उ० एएहि गृहमेहि उद्धारपलिओयम सागरोवमेहि दीवसमुद्दाणं उद्धारे घेप्पइ । ०वा दीव-समुदागं उद्धारेण पश्यता ? - उद्धारसागरोब दीव-समुद्दा उद्धारे उ०- गोवमा ! जावा अढाइमा मार्ग उद्धारसमया एवइया पण्णत्ता । सेत्तं सुहुमे उद्धारपलिओवमे । सेत्तं उद्धारपलिओवमे । - अणु. सु. ३७४-३७६ अद्धा पतिओवमस्स नेया पसे कि अद्धापलिओ ? ३० लिओ विहे पण्यते तं जहा (१) सुहुमे य, (२) वावहारिए य । तत्थ णं जे से सहमे से ठप्पे । सूक्ष्म उद्धार पत्योपम का उदाहरण सहित स्वरूप प्ररूपण१८. प्र० - सूक्ष्म उद्धार पल्योपम का स्वरूप क्या है ? ७०५ उ०- सूक्ष्म उद्धार पल्योपम का स्वरूप इस प्रकार है । जिस प्रकार एक योजन लम्बा-चौड़ा, एक योजन ऊंचा और कुछ अधिक तीन गुणी परिधि वाला हो । उस पल्य में एक दिन, दो दिन तीन दिन - यावत्उत्कृष्ट आत रात के बढ़े हुए बालानों को पूर्ण रूप से ठसाठस भरे ! उन दिखाई देने वाले वालाग्रों में से प्रत्येक बालाग्र के असंख्य खण्ड इतने छोटे करें कि सूक्ष्म पनक जीव के शरीर की अब गाहना से भी असंख्य छोटे गुण हों । वे बाला न अग्नि से जलें, न वायु से उड़ें, न वर्षा से भीजें न सड़ें और न नष्ट हों । उनमें से प्रत्येक समय में एक-एक बालाग्र निकालने पर जितने काल में वह पल्प खाली हो, नीरज हो, निर्लेप हो, सबंधा रिक्त हो, वह सूक्ष्म उद्धार पल्योपम है । गाथार्थ - ऐसे दस क्रोडाको पल्य का एक सूक्ष्म उद्धार सागरोपम का प्रमाण है ! प्र० - इन सूक्ष्म उद्धार पल्योपम-सागरोपम का क्या प्रयोजन है ? उ०- इन सूक्ष्म उद्धार पत्योपम-सागरोपम से द्वीप-समुद्रों के परिमाण का ज्ञान होता है । प्र०—भगवन् ! उद्धार सागरोपम के अनुसार द्वीप सागर कितने कड़े गये है? उ०- गौतम ! अढाई उद्धार सागरोपम के जितने उद्धार समय होते हैं, उतने ही द्वीप समुद्र उद्धार सागरोपम के अनुसार कहे गये हैं। सूक्ष्म उद्धार पल्योपम समाप्त । उद्धार पल्योपम समाप्त । अद्धा पल्योपम के भेद प्र० -- अद्धा पल्योपम कितने प्रकार का कहा गया है ? उ०- अद्धा पल्योपम दो प्रकार का कहा गया है, यथा(१) सूक्ष्म अद्धा पस्योपम, (२) व्यावहारिक अद्धा पत्योपम । इनमें से सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का वर्णन यहाँ स्थगित किया - अणु. सु. ३७७-३७८ गया है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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