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________________ सूत्र १५ काल लोक : औपमिक काल का प्ररूपण गणितानुयोग ७०३ एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसम-दूसमा' पुणरवि उस्स प्पिणीए' एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसमदूसमा। एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसमा । एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालोसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम-सुसमा। दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम-दूसमा, इक्कीस हजार वर्ष जितना अवसर्पिणी काल के छठे दुसमदुसमा आरा का प्रमाण है। पुनः इक्कीस हजार वर्ष जितना उत्सर्पिणी काल के प्रथम दुसम-दुसमा आरा का प्रमाण है। ___ इक्कीस हजार वर्ष जितना उत्सर्पिणी काल के द्वितीय दुसम आरा प्रमाण है। बियालीस हजार वर्ष कम एक क्रोडाकोडी सागरोपम जितना उत्सर्पिणी काल के तृतीय दुसम-सुसमा आरा का प्रमाण है। दो क्रोडाकोडी सागरोपम जितना उत्सर्पिणी काल के चतुर्थ सुसम-दुसमा आरा का प्रमाण है। तीन क्रोडाकोडी सागरोपम जितना उत्सपिणी काल के पंचम सुसमा आरा का प्रमाण है । चार क्रोडाकोडी सागरोपम जितना उत्सपिणी काल के छठे सुसम-सुसमा आरा का प्रमाण है। दस क्रोडाकोडी सागरोपम जितना एक अवसर्पिणी काल का प्रमाण है। दस क्रोडाक्रोडी सागरोपम जितना एक उत्सपिणी काल का प्रमाण है। बीस क्रोडाक्रोडी सागरोपम जितना अवपिणी उत्सपिणी काल का प्रमाण है। तिण्णि सागरोवम कोडाकोडीओ कालो सुसमा, चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम- सुसमा । दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी।। वस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी । वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी य, उस्सप्पिणी य। -भग. स. ६, उ.७, सु. ७-८ १ एगमेगाए णं औसप्पिणीए पंचम छट्ठीओ समाओ एगवीसं एगवीसं वाससहस्साई कालेणं पण्णत्ताओ, तं जहा-(१) दूसमा, (२) दूसमदूसमा य। -सम० २१, सु०१ एगमेगाए णं ओसप्पिणीए पंचम-छट्ठीओ समाओ बायालीसं वाससहस्साई कालेणं पण्णत्ताओ। -सम. ४२, सु.८ २ उत्सर्पति = वर्द्धतेऽरकापेक्षया, उत्सर्पयति वा भावानायुष्कादीन् वर्द्धयतीति उत्सर्पिणी=अवसप्पिणी प्रमाणा । ३ (क) एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढम-बिइयाओ समाओ एगवीसं एगवीसं वाससहस्साई कालेणं पण्णत्ताओ, तं जहा(१) दूसमदूसमा, (२) दूसमा य । -सम० २१, सु० २ (ख) एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढम-बिइयाओ समाओ बायालीस वाससहस्साइं कालेणं पण्णत्ताओ। -सम० ४२, सु०६ ४ एगा ओसप्पिणी-(१) एगा सुसम-सुसमा, (२) एगा सुसमा, (३) एगा सुसम-दूसमा, (४) एगा दुसम-सुसमा, (५) एगा दूसमा, (६) प्रगा दूसमदूसमा। एगा उस्सप्पिणी-(१) एगा दूसम-दूसमा, (२) एगा दूसमा, (३) एगा दूसम-सुसमा, (४) एगा सुसम-दूसमा, (५) एगा सुसमा, (६) एगा सुसम-सुसमा । -ठाणं अ० १, सु०४० दो समाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-(१) ओसप्पिणी समा चेव, (२) उस्सप्पिणी समा चेव । -ठाणं अ० २, उ०१, सु०५६ दुविहे काले पण्णत्ते, तं जहा-(१) ओसप्पिणी काले चेव, (२) उस्सप्पिणी काले चेव। -ठाणं अ० २, उ० १, सु० ६४ ५ ठाणं अ० १०, सु० ७५६ । ६ (क) उस्सप्पिणी-ओसप्पिणी मंडले बीस सागरोवम कोडाकोडीओ कालो पण्णत्तो । -सम० २०, सु०७ (ख) जंबु० वक्ख० २, सु०१६ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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