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________________ ६८४ लोक- प्रज्ञप्ति वेमाणिय विमाणाणं उच्चत्त ६६. १० सोहम्मीसा उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ? उ०- गोयमा ! पंच जोयण सयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ।' प० - सकुमार माहिदे गं ते विमाणा केव उड़ढं उच्चतेणं पण्णत्ता ? उ०- गोयमा ! छ जोयण सयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । 2 प० नए कप्पे विमाणा के उड़ उच्चतेणं पण्णत्ता ? उ० १ २ ऊर्ध्व लोक : वैमानिकों के विमानों की ऊंचाई - गोयमा ! सत्त जोयण सयाई उड्ढ उच्चत्तेणं पण्णत्ता । प० -- महासुक्क सहस्सा रेसु णं भन्ते ! कप्पेसु विमाणा केवइयं उड़ढं उच्चतेणं पण्णत्ता ? मंते ये विमाणा के ६५० ऊं कहे गये हैं। उ०- गोयमा ! अट्ठ जोयण सयाई उड्ढं उच्चतेणं पण्णत्ता । * प० - आणय- जाव अच्चुएसु णं भन्ते ! कप्पेसु विमाणा केवइयं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ? उ०- गोयमा ! नव जोयण सयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । प० - गेविज्ज विमाणाणं भन्ते ! केवइयं उड्ढं उच्चतेणं पण्णत्ता ? उ०- गोयमा ! दस जोयण सयाई उड्ढं उच्च तेणं पण्णत्ता । १० अणुत्तर विमानानं चन्ते । इयं उड़ उभचणं पण्णत्ता ? उ० – गोयमा ! एक्कारस जोयणसयाई उड्ढं उच्चतेणं पण्णत्ता । - जीवा पडि. ३, उ. १, सु. २१३ वैमाणिय विमाण पागाराणं उच्चत६७. वैमाणियाणं देवानं विमाणपागारा तिष्णि तिणि जोयण सयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णता । -सम. १०४, सु. ३, वेमणिय विमाणसु पत्थडा ६८. सोहम्मीसामु कप्पे तेरस विमाणपत्या पता । ठाणं अ०५, उ०३, सु० ४६६, ठाणं अ० ६, सु. ५३२, ३ ठाणं अ० ७, सु० ५७८, ४ ठाणं अ० ८, सु० ६५०, ५ ठाणं अ० ६, सु० ६६५, ६ ठाणं अ० १० सू० ७७५, ७ ० अ० ११ वैमानिकों के विमानों की ऊंचाई - सम. १३, सु. २ भगवद्द ! सौधर्म और ईशानकल्प में विमान कितने सूत्र ६६-६८ उ०- गौतम ! पाँच सौ योजन ऊँचे कहे गये हैं । प्र०] [भगवन्! कुमार और माहेन्द्रकल्प में विमान कितने उसे कहे गये हैं ? उ०- गौतम ! छ सौ योजन ऊँचे कहे गये हैं ? प्र० - भगवन् ! ब्रह्मलोक और लांतककल्प में विमान कितने ऊँचे कहे गये हैं ? उ०- गौतम ! सात सौ योजन ऊँचे कहे गये हैं । प्र० - भगवन् ! महाशुक्र और सहस्रारकल्प में विमान कितने ऊँचे कहे गये हैं ? उ०- गौतम ! आठ सौ योजन ऊँचे कहे गये हैं । प्र० - भगवन् ? आनत - यावत्-अच्युतकल्पों में विमान कितने ऊँचे कहे गये हैं ? उ०- गौतम ! नव सौ योजन ऊंचे कहे गये हैं । प्र० - भगवन् ! ग्रैवेयक विमानों की ऊँचाई कितनी कही गई है? उ०- गौतम! दस सी ( एक हजार ) योजन की ऊंचाई कही गई है। प्र० - भगवन् ! अनुत्तर विमानों की ऊँचाई कितनी कही गई है ? उ०- गौतम ! ग्यारह सौ योजन की ऊँचाई कही गई है । वैमानिक विमानों के प्राकारों की ऊंचाई ६६. वैमानिक देवों के विमानों के प्राकारों की ऊँचाई तीन-तीन सौ योजन की कही गई है । वैमानिकों के विमानों में प्रस्तट ६७. सौधर्म और ईशान कल्प में तेरह विमान प्रस्तट कहे गये हैं । -सम० १०८, सु० ८ -सम० १०६, सु० १ - सम० ११०, सु० १ - सम० १११, सु० १ - सम० ११, सु० १ - सम० ११, सु० १ - सम० ११, सु० १
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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