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सूत्र५८-५९
ऊवं लोक : विमान पृथ्वियों का बाहल्य
गणितानुयोग
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तत्थ णं जे से आवलियापविट्ठा ते तिविहा पण्णत्ता, उनमें से जो आवलिका प्रविष्ट हैं, वे तीन प्रकार के कहे तं जहा
गये हैं, यथा१. वट्टा, २. तंसा, ३. चउरसा य ।
(१) वृत्त (गोलाकार, (२) त्र्यस्र (तिकोन), (३) चतुरस्र
(चौकोर)तत्थ णं जे से आवलिया बाहिरा ते णं णाणासंठिया उनमें से जो आवलिका बाह्य हैं वे नाना संस्थान वाले कहे पण्णत्ता।
गये हैं। एवं-जाव-गेवेज्ज विमाणा।
___ इस प्रकार वेयक विमान पर्यन्त हैं। अणुत्तरोववाइया विमाणा दुविहा पण्णता, तं जहा- अनुत्तरौपपातिक विमान दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. वट्टा य, २. तंसा य ।
(१) गोलाकार संस्थान वाले, और (२) त्रिकोण संस्थान -जीवा. पडि. ३, उ. १, सु. २१२ वाले । विमाणपुढवीणं बाहल्लं
विमान पृथ्वियों का बाहल्य५८. ५०-सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं ५८. प्र०-भगवन् ! सौधर्म और ईशानकल्प में विमानपृथ्वियों बाहल्लेणं पण्णता?
का बाहल्य कितना कहा गया है ? उ०—गोयमा ! सत्तवीसं जोयण सयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता।' उ०-गौतम ! सत्तवीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है। ५०–सणंकुमार-माहिदेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढवी प्र०-भगवन् ! सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्प में विमानकेवइयं बाहल्लेणं पण्णता?
पृथ्वियों का बाहल्य कितना कहा गया है ? उ०-गोयमा ! छव्वीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता। उ०-गौतम ! छब्बीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है। प०-बंभ-लंतएसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढ वो केवइयं प्र-भगवन् ! ब्रह्मलोक और लांतककल्प में विमानबाहल्लेणं पण्णत्ता?
पृथ्वियों का बाहल्य कितना कहा गया है । उ०-गोयमा ! पणवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता। उ०—गौतम ! पच्चीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है । प०–महासुक्क-सहस्सारेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढवी प्र०-भगवन् ! महाशुक्र और सहस्रारकल्प में विमानकेवइयं बाहल्लेणं पण्णता?
पृथ्वियों का बाहल्य कितना कहा गया है ? उ०-गोयमा ! तेवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पग्णत्ता। उ०—गौतम ! चौबीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है।
आणय-जाव-अच्चुएसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढवी प्र०-भगवन् ! आनत-यावत्-अच्युतकल्पों में विमानकेवइयं बाहल्लेणं पण्णता?
पृथ्वियों का बाहल्य कितना कहा गया है ? उ०-गोयमा ! तेवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता। उ०-गौतम ! तेवीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है । ५०-गेवेज्जगेसु णं भंते ! विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं प्र०-भगवन् ! अवेयकों में विमानपृथ्वियों का बाहल्य कितना पण्णत्ता।
कहा गया है ? उ०-गोयमा ! बावीस जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता । उ०-गौतम ! बावीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है। ५०-अणुत्तरोववाइएसु णं भंते ! विमाणपुढवो केवइया प्र०-भगवन् ! अनुत्तरोपपातिकों में विमानपृथ्वियों का बाहल्लेणं पण्णता?
बाहल्य कितना कहा गया है ? उ०-गोयमा ! एकवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता। उ०-गौतम ! इक्कीस सौ योजन का बाहल्य कहा गया है।
__-जीवा. पडि. ३, उ. १, सु. २१२ वेमाणिय विमाणाणं महालियत्त
वैमानिक विमानों की महत्ता५६. ५०-सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा के महा. ५६. प्र०-भगवन् ! सौधर्म और ईशान कल्प में विमान कितने लिया पण्णता?
बड़े हैं ? उ०-गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव समुदाणं उ०- गौतम ! यह जम्बूद्वीप नामक द्वीप सब द्वीप-समुद्रों के
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सम. २७, सु.४।