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सूत्र ५३-५६
ऊर्ध्वलोक : तमस्काय के परिणामित्व का प्ररूपण
४. महंपुकारे वा, ५. सोगंधारे वा, ६. लोग तमिस्से इ वा ७. देवंधकारे इ वा ८. देवतमिस्से इ वा ई. देवारण्णे इ वा १०. देववूहे इ वा, ११. देवफलिहे इ वा १२. देवपडिक्खोभे इ वा, १३. असो वा समु ।"
- भग. स. ३, उ. ५, सु. २४
तमुक्कायरस परिणामत्त परूवणा
तमस्काय के परिणामित्व का प्ररूपण -
५३. ५० - तमुक्काए णं भंते ! कि पुढविपरिणामे, आउपरिणामे, ५३. प्र० - भगवन् ! तमस्काय क्या पृथ्वी का परिणाम हैं,
जीवपरिणामे, पुग्गलपरिणामे ?
२. अप् (जल) का परिणाम हैं, ३ जीव का परिणाम है, ४. पुद्गलों का परिणाम हैं ?
उ०- गोयमा तो पुढविपरिणामे ।
उपरिणामे व जीवपरिणामे वि पुग्गलपरिणामे वि
- भग. स. ६, उ. ५ सु. ५१ तमुक्काए सवेसि पाणाई उबवन्धपुष्यत्त-यस्वर्ण-५४. प० – तमुक्काए णं भंते ! सव्वे पाणा, सव्वे भूया, सब्वे जीवा, सव्वे सत्ता पुढविकाइयत्ताए- जाव-तसकाइयत्ताए उववन्नपुव्वा ?
उ०- हंतो गोयमा असई अदुवा असतो, जो देव णं यावर पुढविकाइयत्ताए वा बादर अगणिकाइय - भग. स. ६, उ. ५, सु. १६
ताए वा । विमाणप्पगारा
५५. तिविहा विमाणा पण्णत्ता, तं जहां
(१) अट्टिया
(२) बेलिया ।
(३) परियाणिया ।
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गणितानुयोग ६७६
- ठाणं अ. ३, उ. ३, सु. १८६
प० सणकुमार माहिंदेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाण पुढवी
कि पट्टिया पण्णत्ता ?
उ०- गोयमा ! घणवायपइट्टिया पण्णत्ता ।
लोक तमिस्रा, ७. देवांधकार
५. लोकांधकार, देवतमिस्रा, ६. देवारण्य, १०. देवव्यूह, ११. देवपरिघा, १२. देवप्रतिक्षोभ, १३. अरुणोदय समुद्र |
५५. विमान तीन प्रकार के कहे गए हैं यथा(१) अवस्थित = शास्वत ।
(२) विकुर्वित = विकुर्वणा द्वारा निष्पन्न |
(३) पारियानिक = आने-जाने के लिए निष्पन्न । विमान पृथ्वियों के प्रतिष्ठान
विमाणपुर्ण पट्टणाई
५६. १० – सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणपुढवी किं ५६. प्र० - भगवन् ! सौधर्म और ईशानकल्प विमानों की
पट्टिया पण्णत्ता ?
पृथ्वी किस पर प्रतिष्ठित कही गई है ?
उ०- गोयमा ! घणोदहिपइट्टिया पण्णत्ता ।
उ०- गौतम ! घनोदधि पर प्रतिष्ठित कही गई है ।
उ०- गौतम ! पृथ्वी का परिणाम नहीं है ।
जल का परिणाम है, जीव का परिणाम है, पुद्गल का परिणाम है ।
तमस्काय में सभी प्राणादि की ५४. प्र० -- भगवन् ! तमस्काय में जीव, सभी सत्व, पृथ्वीकाय रूप पूर्व में उत्पन्न हुए हैं ?
उ०- हाँ गौतम ! बार-बार अथवा अनन्तवार उत्पन्न हुए है किन्तु दृश्य पृथ्वीकाय अथवा दृश्य अग्निकाम रूप नहीं उत्पन्न हुए हैं ।
विमानों के प्रकार
पूर्वोत्पत्ति का प्ररूपणसभी प्राणी, सभी भूत, सभी में- यावत् — सकाय रूप में
प्र० - भगवन् ! सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में विमानों की पृथ्वी किस पर प्रतिष्ठित कही गई है ?
उ०- गौतम ! घनवात पर प्रतिष्ठित कही गई है ।
१ तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामवेज्जा पण्णत्ता । तं जहा - ( १ ) तमे इ वा । (२) तमुक्काए इ वा । ( ३ ) अंधगारे ६ वा । (४) महंगा
वा ।
(२) तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामधेज्जा पण्णत्ता । तं जहा - (१) लोगंधगारे इ वा । (२) लोग तमसे इ वा । (३) देवंधगारे
इ वा । ( ४ ) देवतमसे इ वा ।
(२) मुक्काम सारि णामधेन्वा णता से नहा (१) मातलि इवा (२) लिखोगे इवा (३) देवर इवा । (४) देववृद्देव वा । -- ठाणं अ. ४, उ. २, सु. २११