________________
६५६
लोक-प्रज्ञप्ति
ऊर्ध्वलोक : आकाश प्रदेश में जीव तथा अजीव के देश और प्रदेशों का प्ररूपण
सूत्र ३-४
जे अजीवा ते दुविहा पण्णता, तं जहा
जो अजीव हैं वे दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. रूवि अजीवा य, २. अरूवी अजीवा य ।
(१) रूपी अजीव और (२) अरूपी अजीव, जे रूवि अजीवा ते चउम्विहा पण्णत्ता, तं जहा
जो रूपी अजीव हैं वे चार प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. खंधा, २. खंधदेसा, ३. खंधपदेसा, ४. परमाणु (१) स्कंध, (२) स्कंध के देश, (३) स्कंध के प्रदेश, पोग्गला।
(४) परमाणु पुद्गल । जे अरूवि अजीवा ते छविहा पण्णत्ता, तं जहा
जो अरूपी अजीव हैं वे छ प्रकार के कहे गये हैं, यथानो धम्मत्थिकाए-१. धम्मत्थिकायस्सदेसे, २. धम्म- धर्मास्तिकाय नहीं-(१) धर्मास्तिकाय के देश हैं, (२) धर्मास्थिकायस्स पदेसा।
स्तिकाय के प्रदेश हैं। नो अधम्मत्थिकाए-३. अधम्मत्थिकायस्सदेसे, ___ अधर्मास्तिकाय नहीं, (३) अधर्मास्तिकाय के देश हैं, ४. अधम्मत्थिकायस्सपदेसा।
(४) अधर्मास्किाय के प्रदेश हैं । नो आगासत्थिकाए, ५. आगासत्थिकायस्स देसे, आकाशास्तिकाय नहीं, (५) आकाशास्तिकाय के देश हैं, ६. आगासत्थिकायस्स पदेसा, ७. अद्धासमओ नत्थि', (६) आकाशास्तिकाय के प्रदेश हैं, (७) अद्धा समय नहीं है।
-भग. स. ११, उ. १०, सु. १४ उड्ढलोगखेत्तलोगस्स एगपएसे जीवाजीव-देस-पदेस कललोक क्षेत्र लोक के एक आकाश-प्रदेश में जीव तथा परूवणं
अजीव के देश और प्रदेशों का प्ररूपण४. ५०-उड्ढलोग-खेत्तलोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगास पएसे ४. प्र०-भन्ते ! ऊर्ध्वलोक क्षेत्र लोक के एक आकाश प्रदेशों में
किं जीवा जीवदेसा, जीव पदेसा, अजीवा, अजीवदेसा, क्या जीव हैं ? जीव के देश हैं ? जीव के प्रदेश हैं ? तथा अजीव अजीवपदेसा?
के देश हैं ? अजीव के प्रदेश हैं ? उ०-गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि, जीव पदेसा वि, उ०-गौतम ! जीव नहीं हैं, जीव के देश हैं, जीव के प्रदेश
अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि । हैं, अजीव हैं अजीव के देश हैं, अजीव के प्रदेश हैं । जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा ।
जो जीव के देश हैं वे निश्चित रूप से एकेन्द्रिय के देश हैं । अहवा-एगिदिय देसा य, बेइंदियस्स देसे ।
अथवा-एकेन्द्रिय के देश हैं और बेइन्द्रिय का एक देश हैं। अहवा-एगिदिय देसा य, बेइंदियाण य देसा । अथवा-एकेन्द्रिय के देश हैं और बेइन्द्रियों के देश हैं । एवं मज्झिल्लविरहिओ-जाव-अणिदिएसु ।
इस प्रकार बीच के भंग बिना-यावत्-शेष भंग अनि
न्द्रियों में हैं। अहवा-एगिदिय देसा प, अणिदियाण-देसा।
अथवा-एकेन्द्रियों के देश हैं-यावत्- अनिन्द्रियों के .
देश हैं। जे जीव पदेसा ते नियम एगिदिय-पदेसा,
जो जीव के प्रदेश हैं वे निश्चित रूप से एकेन्द्रिय के
प्रदेश हैं। अहवा-एगिदिय पदेसा य, बेइंदियस्स पदेसा,
अथवा-एकेन्द्रिय के प्रदेश हैं और बेइन्द्रिय के प्रदेश हैं । अहवा-एगिदिय पदेसा य, बेइंदियाण य पदेसा । अथवा-एकेन्द्रिय प्रदेश हैं और बेइन्द्रियों के प्रदेश हैं । एवं आदिल्ल विरहिओ-जाव-पंचेंदिएसु ।
इस प्रकार प्रथम भंग रहित-यावत्-(शेष भंग) पंचेन्द्रियों
अणिदिएसु तिय भंगो
अनिन्द्रियों में तीन भंग हैं ।
-भग. स. ११, उ. १०, सु. १४
१ एवं उड्ढलोग खेत्तलोए वि, नवरं-अरूबी छब्बिहा, अद्धा समओ नत्थि ।
इस संक्षिप्त पाठ का विस्तृत पाठ ऊपर अंकित है।