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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के स्वरूप का प्ररूपण
सूत्र ११२१
५०—(क) ता एएसि छप्पण्णाए णक्खत्ताणं
प्र०—(क) इन छप्पन नक्षत्रों मेंकयरे णक्खत्ता जे णं णवमुहत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे कितने नक्षत्र हैं जो नौ मुहूर्त और एक मुहूर्त के सड़सठ मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोयं जोएंति ?
भागों में से सत्तावीस भाग जितने समय तक चन्द्र के साथ योग
करते हैं ? (ख) कयरे णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धि जोयं (ख) कितने नक्षत्र हैं जो पन्द्रह मुहूर्त चन्द्र के साथ योग जोएंति?
करते हैं ? (ग) कयरे णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि जोयं (ग) कितने नक्षत्र हैं जो तीस मुहूर्त चन्द्र के साथ योग जोएंति ?
करते हैं ? (घ) कयरे णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहत्ते चंदेण सद्धि (घ) कितने नक्षत्र हैं जो पैतालीस मुहूर्त चन्द्र के साथ योग जोयं जोएंति ?
करते हैं ? उ०—(क) ता एएसि गं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं
उ०-(क) इन छप्पन नक्षत्रों मेंतत्य जे ते णक्खत्ता, जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च जो नक्षत्र नौ मुहूर्त और एक मुहूर्त के सड़सठ भागों में से सत्तसटिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोगं जोएंति, ते णं सत्तावीस भाग जितने समय तक चन्द्र के साथ योग करते हैं, वे दो अभीयो,'
दो अभिजित् हैं। (ख) तत्थ जे ते णक्खत्ता, जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धि (ख) जो नक्षत्र पन्द्रह मुहुर्त चन्द्र के साथ योग करते हैं, वे जोगं जोएंति, ते णं बारस तं जहा
बारह हैं, यथा१. दो सतभिसया, २. वो भरणी, ३. दो अद्दा, (१) दो शतभिषक्, (२) दो भरणी, (३) दो आर्द्रा,
४. वो अस्सेसा, ५. दो साती, ६. दो जेट्ठा। (४) दो अश्लेषा, (५) दो स्वाती, (६) दो ज्येष्ठा । (ग) तत्थ जे ते णक्खत्ता, जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि (ग) जो नक्षत्र तीस मुहर्त चन्द्र के साथ योग करते हैं, वे जोगं जोएंति, ते णं तीसं, तं जहा
तीस हैं, यथा१. दो सवणा, २. दो धणिट्ठा, ३. दो पुव्वाभद्दवया, (१) दो श्रवण, (२) दो धनिष्ठा, (३) दो पूर्वाभाद्रपद, ४. दो रेवई, ५. दो अस्सिणी, ६. बो कत्तीया, ७. दो (४) दो रेवती, (५) दो अश्विनी, (६) दो कृत्तिका, (७) दो संठाणा, ८. दो पुस्सा, ६. दो महा, १०. दो पुव्वा- मृगसर, (८) दो पुष्य, (६) दो मघा, (१०) दो पूर्वाफाल्गुनी, फग्गुणी, ११. दो हत्था, १२. दो चित्ता, १३. दो (११) दो हस्त, (१२) दो चित्रा, (१३) दो अनुराधा, (१४) दो
अणुराधा, १४. दो मूला, १५. दो पुव्वासाढा। मूल, (१५) दो पूर्वाषाढ़ा। (घ) तत्थ जे ते गक्खत्ता जे गं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण (घ) जो नक्षत्र पैतालीस मुहूर्त चन्द्र के साथ योग करते हैं, सद्धि जोगं जोएंति ते णं बारस, तं जहा
वे बारह हैं यथा१. दो उत्तरापोटुवया, २. दो रोहिणी, ३. दो पुणव्वसु, (१) दो उत्तराभाद्रपद, (२) दो रोहिणी, (३) दो पुनर्वसु, ४. दो उत्तराफग्गुणी, ५. दो विसाहा, ६. दो उत्तरा- (४) दो उत्तराफाल्गुनि, (५) दो विशाखा, (६) दो उत्तराषाढा । साढा ।
-सूरिय. पा. १०, पाहु. २२, सु. ६०
१ सम.६ सु. ५। २ छ नक्खत्ता पन्नरस मुहुत्त संजुत्ता पण्णत्ता, तं जहा
सतभिसय भरणी, अद्दा असलेसा साई तहा जेट्ठा । एते छ नक्खत्ता पन्नरस मुहुत्त संजुत्ता ।।
-सम. १५ सु. ४ ३ सव्वेवि णं दिवड्ढ खेत्तिया नक्खत्ता पणयालीस मुहुत्ते चंदेण सद्धि जोगं जोइंसु वा, जोएंति वा जोइस्संति वा-तिन्नेव उत्तराई, पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य एए छ नक्खत्ता पणयाल-मुहुत्त संजोगा।
-सम. ४५ सु.७॥ ४ चद. पा. १० सु. ६० ।