________________
सूत्र ११२१
तिर्यक्लोक : नक्षत्रों के स्वरूप का प्ररूपण
गणितानुयोग
६३७
णक्खत्ताणं सरूव परूवणं
नक्षत्रों के स्वरूप का प्ररूपण१२१. ५०-ता कहं ते गक्खत्त विजय ? आहिए त्ति वएज्जा, १२१. (क) प्र०-नक्षत्रों के स्वरूप का निरूपण किस प्रकार
है ? कहें। उ०-ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीजे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वन्भंत- उ०—यह जम्बूद्वीप द्वीप सभी द्वीप-समुद्रों के अन्दर (बीच
राए सव्वखुड्डाए-जाव-एगं जोयणसयसहस्सं आयाम- में है, सबसे छोटा है-यावत्-एक लाख योजन का लम्बाविक्खंभेणं, तिणि जोयणसयसहस्साई, सोलससहस्साई, चौड़ा है, तीन लाख सोलह हजार दो सौ सत्तावीस योजन तीन दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिणि य कोसे, अट्ठा- कोस अट्ठाईस धनुष. तेरह अंगुल और आधे अंगुल से कुछ अधिक वीस च धणुसयं, तेरस अंगुलाई, अद्धंगुलं च किंचि की उसकी परिधि कही गई है।
विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते, (क) ता जंबुद्दीवे णं दीवे
उस जम्बूद्वीप द्वीप मेंदो चन्दा १. पभासेंसु वा, २. पभासेंति वा, ३. पभा- दो चन्द्र प्रभासित हुए थे, होते हैं और होंगे,
सिस्संति वा, (ख) दो सूरिया १. विसु वा, २. तवेति वा, ३. तवि- ___दो सूर्य तपे हैं, तपते हैं और तपेंगे
स्संति वा, (ग) छप्पण्णं णक्खत्ता जोयं १. जोएंसु वा, २. जोएंति वा, छप्पन नक्षत्रों ने (चन्द्र-सूर्य के साथ) योग किये हैं, योग ३. जोइस्संति वा, तं जहा
करते हैं और योग करेंगे, यथा१. दो अभीई, २. दो सवणा, ३. दो धणिट्ठा, ४. दो (१) दो अभिजित्, (२) दो श्रवण, (३) दो धनिष्ठा, सतभिसया, ५. दो पुत्वा पोट्टवया, ६. दो उत्तरापोट्ठ- (४) दो शतभिषक्, (५) दो पूर्वाभाद्रपद, (६) दो उत्तराभाद्रपद, वया, ७. दो रेवई, ८. दो अस्सिणी, ६. दो भरणी, (७) दो रेवती, (८) दो अश्विनी, (६) दो भरणी, (१०) दो १०. दो कत्तिया, ११. दो रोहिणी, १२. दो संठाणा, कृत्तिका, (११) दो रोहिणी, (१२) दो मृगशिरा, (१३) दो १३. दो अद्दा, १४. दो पुणव्वसु, १५. दो पुस्सा, आर्द्रा, (१४) दो पुनर्वसु, (१५) दो पुष्य, (१६) दो अश्लेषा, १६. दो अस्सेसाओ, १७. दो महाओ, १८. दो पुब्बा- (१७) दो मघा, (१८) दो पूर्वाफाल्गुनि, (१६) दो उत्तरा फग्गुणी, १६. दो उत्तराफग्गुणी, २०. दो हत्था, फाल्गुनी, (२०) दो हस्त, (२१) दो चित्रा, (२२) दो स्वाती, २१. दो चित्ता, २२. दो साई, २३. दो विसाहा, (२३) दो विशाखा, (२४) दो अनुराधा, (२५) दो ज्येष्ठा, २४. दो अणुराधा, २५. दो जेट्ठा, २६. दो मूला, (२६) दो मूल, (२७) दो पूर्वाषाढ़ा, (२८) दो उत्तराषाढ़ा। २७. दो पुव्वासाढा, २८. दो उत्तरासाढा,
(दो चन्द्रों के साथ योग करने वाले नक्षत्र)ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं
इन छप्पन नक्षत्रों में(क) अत्थि णक्खत्ता जे णं णब मुहत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठि (क) कुछ नक्षत्र हैं जो नौ मुहूर्त और एक मुहूर्त के सड़सठ भागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोय जोएंत्ति,
भागों में से सत्तावीस भाग जितने समय तक चन्द्र के साथ योग
करते हैं। (ख) अत्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहत्ते चंदेण सद्धि जोयं (ख) कुछ नक्षत्र हैं जो पन्द्रह मुहूर्त चन्द्र के साथ योग जोएंति,
करते हैं। (ग) अत्थि णक्खत्ता जे णं तीस मुहत्ते चंदेण सद्धि जोयं (ग) कुछ नक्षत्र हैं जो तीस मुहूर्त चन्द्र के जोएंति,
__ करते हैं । (घ) अत्थि णक्खत्ता जे गं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि (घ) कुछ नक्षत्र हैं जो पैतालीस मुहूर्त चन्द्र के साथ योग जोयं जोएंति,
करते हैं।
१ जंबुद्दीवे णं दीवे छप्पन्नं नक्खत्ता चंदेण सद्धि जोगं जोइंसु वा, जोइंति वा, जोइस्संति ।
-सम. ५६ सु. १