________________
६३६
लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक लोक : नक्षत्रों का सीमा-विष्कम्भ समांश
सूत्र १११६-११२०
(ग) तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा (ग) जो नक्षत्र दो हजार दस योजन और एक योजन के
सत्तसद्विभाग तीसइ भागे णं सीमा विक्खंभो, ते सड़सठ भागों में से तीस भाग जितने (मण्डल के) सीमा विष्कम्भ णं तीसं, तं जहा
वाले हैं वे तीस हैं यथा१. दो सवणा, २. दो धणिट्टा, ३. दो पुव्वा भद्द- (१) दो श्रवण, (२) दो धनिष्ठा, (३) दो पूर्वाभाद्रपद, वया, ४. दो रेवई, ५. दो अस्सिणी, ६. दो (४) दो रेवती, (५) दो अश्विनी (६) दो कृत्तिका, (७) दो कत्तिया, ७. दो संठाणा, ८. दो पुस्सा, ६. दो मृगसिर, (८) दो पुष्य, (६) दो मघा, (१०) दो पूर्वाफाल्गुनि महा, १०. दो पुवाफग्गुणी, ११. दो हत्था, (११) दो हस्त, (१२) दो चित्रा, (१३) दो अनुराधा, (१४) दो १२. दो चित्ता, १३. दो अणुराहा, १४. दो मूला, मूल, (१५) दो पूर्वाषाढा ।
१५. दो पुब्वासाढा, (घ) तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि गं तिणि सहस्सा (घ) जो नक्षत्र तीन हजार पन्द्रह योजन और एक योजन
पण्णरसुत्तरा सत्तसट्ठिभाग तीसइ भागे णं सीमा के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितने (मण्डल के) सीमा विक्खंभो, ते णं वारस तं जहा
विष्कम्भ वाले हैं; वे बारह हैं यथा१. दो उत्तरापोटुवया, २. दो रोहिणी, ३. दो (१) दो उत्तराभाद्रपद, (२) दो रोहिणी, (३) दो पुनर्वसु, पुणव्वसु, ४. दो उत्तराफग्गुणी, ५. दो विसाहा, (४) दो उत्तराफाल्गुनि, (५) दो विशाखा, (६) दो उत्तराषाढा । ६. दो उत्तरासाढा।
-सूरिय. पा. १०, पाहु. २२, सु. ६१ णक्खत्ताण सीमाविक्खंभो समांसो- .
नक्षत्रों का सीमा-विष्कम्भ समांश११७. सव्वेसि उि णं नक्खत्ताणं सीमाविक्खंभेणं सट्टि भाग भइए ११७. सभी नक्षत्रों के सीमा-विष्कम्भ का समांश एक योजन के समसे पण्णत्ते ।
सड़सठ भागों में विभाजित करने पर होता है।
-सम. ६७, सु. ४ चंदस्स मण्डले कत्तिया णक्खत्तस्स गइ
चन्द्र मण्डल में कृत्तिका नक्षत्र की गति११८. कत्तियाणक्खत्ते सव्वबाहिराओ मण्डलाओ इसमे मण्डले चारं ११८. कृत्तिका नक्षत्र चन्द्र के सर्व बाह्य मण्डल से दसवें मण्डल चरइ।
में भ्रमण करता है।
-ठाणं० १०, सु०७८० चंदस्स मण्डले अणुराहा णक्ख त्तस्स गइ
चन्द्र मण्डल में अनुराधा नक्षत्र की गति११६. अणराहा णक्खत्ते सव्वभंतराओ मण्डलाओ दसमे मण्डले ११६. अनुराधा नक्षत्र चन्द्र के सर्व आभ्यन्तर मण्डल से दसवें चारं चरइ।
मण्डल में भ्रमण करता है।
-ठाणं० १०, सु० ७८० चंदस्स पिटठभागे गममाणा णव णक्खत्ता
चन्द्र के पृष्ठभाग पर गति करने वाले नौ नक्षत्र है१२०. नव नक्खत्ता चन्दस्स पच्छंभागा पण्णत्ता, तं जहा- १२०. नौ नक्षत्र चन्द्र के पीछे से गति करते हैं, यथागाहा
गाथाअभिई सवणो धणिट्टा, रेवइ अस्सिणि मग्गसिरं पूसो । (१) अभिजित् (२) श्रवण (३) धनिष्ठा हत्थो चित्ता य तहा-पच्छंभागा नव हवंति ॥१॥ . (४) रेवती (५) अश्विनी (६) मृगशिरा
-ठाणं० १, सु० ६६४ (७) पुष्य (८) हस्त (६) चित्रा
१
चन्द. पा. १० सु. ६१ ।