SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 800
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र १११६ तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के मण्डलों का सीमा विष्कम्भ गणितानुयोग ६३५ 1 . णक्खत्त मण्डलाणं सोमाविक्खंभो नक्षत्रों के मण्डलों का सीमा विष्कम्भ११६. ५०–ता कहं ते सीमाविक्खंभे ? आहिए त्ति वएज्जा, ११६. प्र० - नक्षत्रों (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ कितना है ? कहें। उ०—(क) ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं उ०—(क) इन छप्पन नक्षत्रों मेंअत्थि णक्खत्ता, जेसि णं छसया तीसा सत्तसट्ठि कुछ नक्षत्र हैं, (जिनके मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ छ सौ भाग तीसइ भागाणं सीमाविक्खंभो, तीस योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना हैं। (ख) अत्थि णक्खत्ता जेसि णं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तसद्धि (ख) कुछ नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ भाग तीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो, एक हजार पाँच योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है। (ग) अस्थि णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा (ग) कुछ नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ सत्तसट्टि भाग तोसइ भागाणं सीमाविक्खंभो, दो हजार दस योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है। (घ) अस्थि णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं (घ) कुछ नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ सत्तसट्ठिभाग तीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो, तीन हजार पन्द्रह योजन और एक योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है । १०-(क) ता एएसि गं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं प्र० -- (क) इन छप्पन नक्षत्रों मेंकयरे णक्खत्ता जेसि णं छ सया तीसा सत्तसट्टि कितने नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ छ भाग तीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो ? सौ तीस योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है ? (ख) कयरे णक्खत्ता जेसि णं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तसट्ठि (ख) कितने नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ भाग तीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो? एक हजार पाँच योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है ? (ग) कयरे णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा (ग) कितने नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ सत्तसट्ठि भाग तीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो? दो हजार दस योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है? (घ) कयरे णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं (घ) कितने नक्षत्र हैं, जिन (के मण्डलों) का सीमा विष्कम्भ सत्तसद्विभाग तीसइ भागाणं सोमा विक्खंभो? तीन हजार पन्द्रह योजन और एक योजन के सड़सठ भागों में से तीस भाग जितना है? उ०—(क) ता एएसि गं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं उ०—इन छप्पन नक्षत्रों मेंतत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं छ सया तीसा सत्त- जो नक्षत्र छ सौ तीस योजन और एक योजन के सड़सठ सट्ठिभाग तीसइ भागे णं सीमा विक्खंभो, ते णं भागों में से तीस भाग जितने (मण्डलों के) सीमा विष्कम्भ वाले दो अभिई। हैं वे दो अभिजित् हैं। (ख) तत्थ जे ते णक्खत्ता, जेसि णं सहस्सं पंचत्तरं (ख) जो नक्षत्र एक हजार पाँच योजन और एक योजन के सत्तसद्विभाग तीसइ भागे णं सीमा विक्खंभो, ते सड़सठ भागों में से तीस भाग जितने (मण्डल के) सीमा विष्कम्भ णं बारस तं जहा वाले हैं वे बारह हैं, यथा१. दो सतभिसया, २. दो भरणी, ३. दो अद्दा, (१) दो शतभिषक्, (२) दो भरणी, (३) दो आर्द्रा, ४. दो अस्सेसा, '. दो साती, ६. दो जेट्ठा। (४) दो अश्लेषा, (५) दो स्वाती, (६) दो ज्येष्ठा ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy