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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : नक्षत्रमण्डलों की संख्या
सूत्र ११०६-११०६
१. मूलो चोद्दस अहोरत्ते णेइ,
(१) मूल चौदह अहोरात्र पूर्ण करता है। २. पुव्वासाढा पण्णरस अहोरत्ते गेइ,
(२) पूर्वाषाढा पन्द्रह अहोरात्र पूर्ण करता है। ३. उत्तरासाढा एगं अहोरत्तं णेइ,
(३) उत्तराषाढा एक अहोरात्र पूर्ण करता है। तंसि च णं मासंसि वट्टाए समचउरंस संठियाए णग्गोध उस मास में वृत्त समचौरस वट वृक्ष के समान अपने शरीर परिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणु- के अनुरूप छाया से सूर्य परिभ्रमण करता है । परियट्टइ। तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाई दो पदाइं उस मास के अन्तिम दिन में रेखास्थ दो पैर पौरुषी पोरिसीए भवइ ।'
होती है। -सुरिय. पा. १०, पाहु. १०, सु. ४३ णक्खत्तमंडलाणं संखा---
नक्षत्र मण्डलों की संख्या१०७. ५०-कइ णं भंते ! णक्खत्तमंडला पण्णत्ता?
१०७. प्र.-भगवन् ! नक्षत्र मण्डल कितने कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! अट्ठ णक्खत्तमंडला पण्णत्ता।
उ०-गौतम ! आठ नक्षत्र मण्डल कहे गये हैं । प०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयं खेत्तं ओगाहित्ता केवइया प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में कितना क्षेत्र अवणक्खत्तमंडला पण्णता?
____ गाहन करने पर कितने नक्षत्र मण्डल कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे असियं जोयणसयं ओगाहेत्ता उ०- गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में एक सौ अस्सी एत्थ गं दो गक्खत्तमंडला पण्णत्ता।
योजन अवगाहन करने पर दो नक्षत्र मण्डल कहे गये हैं। प०-लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइयं खेत्तं ओगाहित्ता केवइआ प्र०-भगवन् ! लवण समुद्र में कितना क्षेत्र अवगाहन करने णक्खत्तमंडला पण्णता?
___ पर कितने नक्षत्र मण्डल कहे गये हैं। उ०-गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तिणि तीसे जोयणसए उ०-गौतम ! लवणसमुद्र में तीन सौ तीस योजन अव
ओगाहित्ता एत्थ गं छ णक्खत्तमंडला पण्णता। गाहन करने पर छ नक्षत्र मण्डल कहे गये हैं । एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दोवे दीवे लवणे समुद्दे अट्ठ इस प्रकार जम्बूद्वीप और लवणसमुद्र में आठ नक्षत्र मण्डल णक्खत्तमंडला भवतीतिमक्खायं ।
- होते हैं- ऐसा कहा गया है ।
-जंबु. वक्ख. ७, सु. १४६ बाहिराब्भंतर णक्खत्तमंडलाणमंतरं
आभ्यन्तर और बाह्य नक्षत्र मण्डलों का अन्तर१०८. ५०-सम्वन्भंतराओ णं भंते ! णक्खत्तमंडलाओ केवइआए १०८. प्र०-भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्र मण्डल से सर्वबाह्य
अबाहाए सवबाहिरए णक्खत्तमण्डले पण्णत्ते? नक्षत्र मण्डल कितनी दूरी पर कहा गया है ? उ०--गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सब्वबाहिरए उ०-गौतम ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्र मण्डल से पांच सौ दस णक्खत्तमण्डले पण्णत्ते।
योजन की दूरी पर सर्वबाह्य नक्षत्र मण्डल कहा गया है । -जंबु० वक्ख०७, सु० १४६ णक्खत्तमंडलाणमंतरं
नक्षत्र मन्डलों का अन्तर१०६. प०–णक्खत्त मण्डलस्स णं भंते ! णक्खत्तमण्डलस्स य एस १०६. प्र०-भगवन् ! एक नक्षत्र मण्डल से दूसरे नक्षत्र मण्डल णं केवइयाए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ?
का अन्तर कितना कहा गया है ? उ०-गोयमा ! दो जोयणाई णक्खत्तमण्डलस्स णक्खत्त- उ०-गौतम ! एक नक्षत्र मण्डल से दूसरे नक्षत्र मण्डल का मण्डलस्स य अबाहाए अन्तरे पण्णत्ते ।
अन्तर दो योजन कहा गया है । -जंबु० वक्ख०७, सु० १४६
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चन्द. पा. १०, सु. ४३ ।