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सूत्र ११०६
तिर्यक् लोक : वर्षा हेमंत और ग्रीष्म के दिन रात पूर्ण करने वाले नक्षत्रों की संख्या
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प० - १. ता गिम्हाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेंति ?
उ०- ता तिष्णि णक्खत्ता णेंति, तं जहा - १. उत्तराफग्गुणी, २. ३. चिता,
उ०
१. उत्तराणी चोट्स अहोरले पेड़,
२. हत्थो पण्णरस अहोरते णेइ,
३. बिसाएगं होतं .
तंसि च णं मासंसि दुवाल संगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अपरिप
तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्टाई य तिष्णि पयाई पोरिसी भवइ,
प० -- २. ता गिम्हाणं बितियं मासं कति णक्खत्ता ति ?
-ता तिण्णि णक्खत्ता ति तं जहा - १. चित्ता, २. साई, ३. विसाहा,
१. चित्ता चोट्स अहोर
२. साई पण्णरस अहोरते इ,
३. विसाहा एवं अहोरत्ते णेइ,
तंसि च णं मासंसि अट्ठ गुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अपरियगृह,
तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाइं अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवइ,
प० - ३. गिम्हाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता र्णेति ?
उ०- ता तिष्णि णक्खत्ता ति तं जहा- १. बिसाहा,
२. अराहा, ३. बेामूली,
१. विसाहा चोइस अहोरते णेइ,
२. अणुराहा पम्परस अहोरते ह ३. मुलो एवं अहोर ड
सिमासि नवरंगुलपोरिसोए छायाए सूरिए अणुपरियदृइ,
तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पायाणि य चत्तारि अंगुलानि पोरिसो भव
प० - ४. ता गिम्हाणं चउत्थं मासं कति णक्खत्ता ति ?
उ०- ता तिष्णि णक्खत्ता र्णेति तं जहा - १. मूलो, २. पुव्वासाढा, ३. उत्तरासाढा,
गणितानुयोग
(e) प्र० - ग्रीष्म ऋतु के प्रथम मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते हैं ?
उ०- तीन नक्षत्र पूर्ण करते हैं, यथा - ( १ ) उत्तराफाल्गुनी, (२) हस्त (३) विश ।
(१) उत्तराफाल्गुनी चौदह अहोरात्र पूर्ण करता है ।
(२) हस्त पन्द्रह अहोरात्र पूर्ण करता है।
(३) चित्रा एक अहोरात्र पूर्ण करता है ।
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उस मास में बारह अंगुल पौरुषी छाया से सूर्य परिभ्रमण करता है ।
उस मास के अन्तिम दिन में रेखास्थ तीन पैर पौरुषी होती है।
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(१०) प्र० - ग्रीष्म ऋतु के द्वितीय मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते हैं ?
उ०- तीन नक्षत्र पूर्ण करते हैं यथा – (१) चित्रा, (२) स्वाति, (३) विज्ञाया।
(१) चित्रा
अहोराश पूर्ण करता है।
(२) स्वाति पन्द्रह अहोरात्र पूर्ण करता है ।
(३) विशाखा एक अहोरात्र पूर्ण करता है ।
उस मास में आठ अंगुल पौरुषी छाया से सूर्य परिभ्रमण करता है ।
उस मास के अन्तिम दिन में दो पैर आठ अंगुल पौरुषी होती है।
(११) प्र० - ग्रीष्म ऋतु के तृतीय मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते हैं?
उ०- तीन नक्षत्र पूर्ण करते हैं, यथा - ( १ ) विशाखा, (२) अनुराधा, (३) ज्येष्ठा ।
(१) विशाखा चौदह अहोरात्र पूर्ण करता है।
(२) अनुराधा पन्द्रह अहोरात्र पूर्ण करता है।
(३) ज्येष्ठा एक अहोरात्र पूर्ण करता है ।
उस मास में चार अंगुल पौरुषी छाया से सूर्य परिभ्रमण करता है ।
उस मास के अन्तिम दिन में दो पैर और चार अंगुल पोरुषी होती है ।
(१२) प्र० - ग्रीष्म ऋतु के चौथे मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते हैं ?
उ०—तीन नक्षत्र पूर्ण करते हैं यथा - (१) मूल, (२) पूर्वाषाढा, (३) उत्तराषाढा ।