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________________ सूत्र ११०३-११०४ तिर्यक् लोक : बारह अमावस्याओं में नक्षत्रों के योग की संख्या गणितानुयोग ६२५ ५०-७. ता माहिण्णं पुण्णमासि कति णक्खत्ता, जोएंति? (७) प्र०-- माघी पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०–ता दोणि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-१. अस्सेसा, उ.---दो नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) अश्लेषा, २. महा य, (२) मघा । प०-८. ता फग्गुणोणं पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोएंति? (८) प्र०-फाल्गुनी पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०–ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-१. पुन्वाफग्गुणी, उ०-दो नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) पूर्वाफाल्गुनी, २. उत्तराफग्गुणो य, (२) उत्तराफाल्गुनी। ५०-६. ता चित्तिण्णं पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोएति? (6) प्र०-चैत्री पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ.-ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-१. हत्थो, उ०--दो नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) हस्त, २. चित्ता य, (२) चित्रा। प०-१०. ता विसाहिण्णं पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोएंति? (१०) प्र०-वैशाखी पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ.--ता दोणि णक्खत्ता जोएति, तं जहा-१. सोती, उ०-दो नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) स्वाती, २. विसाहा य, विशाखा। प०-११. ता जेट्टा-मूलिण्णं पुण्णमासि कति णक्खता जोएंति? (११) प्र०-ज्येष्ठामूली पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०–ता तिण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा–१. अणुराहा, उ०-तीन नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) अनुराधा, २. जेट्ठा, ३. मूलो, (२) ज्येष्ठा, (३) मूल । प०-१२. ता आसाढिण्णं पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोएंति? (१२) प्र०-आषाढ़ी पूर्णिमा को चन्द्र के साथ कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०-ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-१. पुव्वासाढा, उ०-दो नक्षत्र योग करते हैं, यथा-(१) पूर्वाषाढ़ा, २. उत्तरासाढा य, (२) उत्तराषाढ़ा। -सूरिय. पा. १०, पाहु. ५, सु. ३८ दुवालसासु अमावासासु णक्खत्त संजोग-संखा- बारह अमावस्याओं में नक्षत्रों के योग की संख्या१०४. १.५०–ता साविढि णं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति? (१) प्र०-श्रावणी अमावास्या को कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०-दुण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-अस्सेसा य उ०-दो नक्षत्र योग करते हैं यथा-अश्लेषा, मघा । । मघा य, २.५०–ता पोट्रवई णं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति? (२) प्र०-भाद्रपदी अमावास्या को कितने नक्षत्र योग करते हैं ? उ०-दुण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-पुन्वाफग्गुणी, उ०-दो नक्षत्र योग करते हैं यथा--पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराउत्तराफग्गुणी, फाल्गुनी। ३. ५०-ता आसोई णं अमावास कति णक्खत्ता जोएंति ? (३) प्र०-आसोजी अमावास्या को कितने नक्षत्र योग करते हैं ? १ (क) जम्बु. वक्ख. ७ सु. १६१ । (ख) चन्द. पा. १० सु. ३८ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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