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तिर्यलोक चन्द्र के मार्ग में योग करने वाले नक्षत्रों की संख्या गणितानुयोग
५. कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स सया पमद्दं जोगं जोएंति ?
उ०- १. ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं
उ०- ( १ ) इन अट्ठावीस नक्षत्रों में जो नक्षत्र सदा चन्द्र के दक्षिण भाग में योग करते हैं वे छह हैं, यथा - ( १ ) मृगशिर,
तत्थ जे णं णक्खत्ता सया चंबस्स दाहिणे णं जोगं जोति ले छतं महा १ मा २. अहा, (२) आर्द्रा, (३) पुष्प, (४) अश्लेषा, (५) हस्त, (६) मूल णं - संठाणा, ३. पुरसो ४. अस्सेसा, ५. हत्थो, ६. मूलो,
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२. तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरे णं जोगं जोएंति, ते ण बारस, तं जहा - १. अभिई, २. सब, २. षि, ४ सभा ४. पुव धणिट्ठा, सतभिसया, मक्या, ६. उत्तरमा ७. रेवई, ८. अस्सिमी ६. भरणी, १०. गुणी, ११ उत्तरगुणी, पुव्वफग्गुणी, १२. साती,
३. तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं चंदस्स दाहिणेणऽवि उत्तरेणऽवि पमद्दं जोगं जोएंति, ते णं सत्त, तं - पुण्णवसू, महा १. कतिया २. रोहिणी, ३. पुण्य ४. महा, ५. चित्ता, ६. विसाहा, ७.
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अणुराहा, ४. तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणऽवि
पमद्दं जोगं जोएंति, ताओ णं दो आसाढाओ सव्वबाहिरे मण्डले जोगं जोएंसु वा जोएंति वा, जोतिबा
५. तत्थ जे ते णक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्द जोगं जोएइ, सा णं एगा जेट्ठा,
सूरि. पा. १० पाहू. ११. ० ४४
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णं
(५) कितने नक्षत्र हैं जो चन्द्र के साथ सदा प्रमर्द योग करते हैं ?
६२३
(२) जो नक्षत्र सदा चन्द्र के उत्तर भाग में योग करते हैं वे बारह हैं, यथा - ( १ ) अभिजित्, (२) श्रवण, (३) धनिष्ठा, (४) शतभिषक, (५) पूर्वाभाद्रपद, (५) उत्तराभाद्रपद, (७) रेवती, (८) अश्विनी, (२) भरणी, (१०) पूर्वाफाल्गुनी, (११) उत्तरा (१२) स्वाती ।
(३) जो नक्षत्र चन्द्र के दक्षिण भाग में में भी प्रमर्द योग करते हैं वे सात हैं, (२) रोहिणी, (३) पुनर्वसु, (४)
(६) विशाखा, (७) अनुराधा ।
उ०- (१) गोयमा ! एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं
अट्ठावीसाए गक्खत्ताणं
णं सया चंदस्स दाहिणे णं जोगं जोएंति ? णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति ?
(४) जो नक्षत्र चन्द्र के दक्षिण भाग में ही प्रमर्द योग करते
है वे दो पूर्वाषाढा और उत्तरासाढा हैं । जो सर्व बाह्य मण्डल में योग करते थे, योग करते हैं, और योग करेंगे ।
(५) जो नक्षत्र चन्द्र के साथ सदा प्रमर्द योग करता है वह एक है ज्येष्ठा ।
१ (क) अभीजि आइया नव नक्खत्ता चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति तं जहा - अभीजि सवणो- जाव-भरणी । (ख) ठाणं अ. सु. ६६९ ।
२ अादेश दिपम जोग जोति से जहा (१) कलिया, (२) रोहिणी, (३) पुणव्यसू, (४) महा, (५) चित्ता,
(६) विवाहा, (७) बराहा, (६) बेट्टा
- सम. ८ सु. ६
३ (५) १० (१) एएन भने कयरे णक्खत्ता
(२) कयरे णक्खत्ता जे
चंदस्स दाहिणेणऽवि उत्तरेणऽवि पमद्द जोगं जोएंति ?
(३) कयरे णक्खत्ता जे (४) कयरे णक्खत्ता जे
णं सया दाहिणेणं पमद्द जोगं जोएंति ?
(५) कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स पमद्द जोगं जोएंति ?
भी और उत्तर भाग यथा - ( १ ) कृत्तिका, मघा, (५) चिया,
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- सम. सु. ६
तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणे णं जोगं जोएंति, ते णं छ, तं जहा - (१) संठाण, (२) अद्द, (३) पुस्सी, (४) अखिलेस, (५) हत्यो, (६) तहेव मूलोऽबाहिर बाहिरमंडलस्स छप्पे णमखत्ता ।
(२) तत्थ णं जेते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति, ते णं बारस, तं जहा – (१) अभिई,
(२) सब, (३) धणिट्टा, (४) समभिसवा, (५) पुव्यभवया (६) उत्तरभवया, (७) रेवई (८) अरणी, (१) भरणी, (१०) पुब्वफम्गुणी, (११) उत्तरफम्बुगी, (१२) साठी ।