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________________ ६२२ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक लोक : चन्द्र के मार्ग में योग करने वाले नक्षत्रों की संख्या सूत्र ११०१-११०२ (ग) प०–ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं-कि सया (ग) ये छप्पन नक्षत्र क्या प्रातः और सायं दोनों ओर से दुहा पविसिय पविसिय चंदेण सद्धि जोगं जोएंति? (आकाश में) प्रवेश करके चन्द्र के साथ योग करते हैं ? (क) उ०–ता एएसिणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं-न कि पिउ०-ये छप्पन नक्षत्र न सदा प्रातः चन्द्र के साथ योग तंज सया पादो चंदेण सद्धि जोगं जोएंति, करते हैं । (ख) उ०-न सया सायं चंदेण सद्धि जोगं जोएंति, (ख) ये छप्पन नक्षत्र न सदा सायं चन्द्र के साथ योग करते हैं। (ग) उ०-न सया दुहओ पविसित्ता पविसित्ता चंदेण सद्धि (ग) दो अभिजित् के अतिरिक्त ये छप्पन नक्षत्र प्रातः और जोगं जोएंति, णण्णत्थ दोहिं अभिईहिं। सायं दोनों ओर से (आकाश में) प्रवेश करके चन्द्र के साथ योग नहीं करते हैं। ता एएणं दो अभिई पायंचिय पायंचिय चोत्तालीसं ये दो अभिजित् (प्रत्येक) चुमालीसवीं अमावस्या को प्रातः चोत्तालीसं अमावासं जोएन्ति णो चेव णं पुण्ण- काल ही चन्द्र के साथ योग करते हैं (किन्तु) पूर्णिमा को चन्द्र मासिणि ।' के साथ योग नहीं करते हैं । - सूरिय. पा. १०, पाहु. २२, सु. ६२ चंदमग्गे णक्खत्त जोगसंखा चन्द्र के मार्ग में योग करने वाले नक्षत्रों की संख्या१०२. ५०–ता कहं ते चंदमग्गा? आहिए त्ति वएज्जा, १०२. प्र०-चन्द्र के मार्ग कितने हैं ? कहें । उ०-१. ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं उ०-(१) इन अट्ठावीस नक्षत्रों मेंअत्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणे णं जोगं कुछ नक्षत्र हैं जो सदा चन्द्र के दक्षिण भाग में योग जोएंति, ___ करते हैं। २. अत्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेण जोगं (२) कुछ नक्षत्र हैं जो सदा चन्द्र के उत्तर भाग में योग जोएंति, करते हैं। ३. अत्थि णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेण (३) कुछ नक्षत्र हैं जो दक्षिण भाग में भी और उत्तर भाग वि पमपि जोगं जोएंति, में भी प्रमर्द योग करते हैं। ४. अत्थि णक्खता जे णं चंदस्स दाहिणेणऽवि पमइंपि (४) कुछ नक्षत्र हैं जो दक्षिण भाग में ही प्रमर्द योग जोगं जोएंति, करते हैं। ५. अत्थि णक्खत्ता जे णं चंदस्स सया पमई जोगं (५) कुछ नक्षत्र हैं जो चन्द्र के साथ सदा प्रमर्द योग जोएंति, करते हैं। १०-१. ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं प्र०- (१) इन अट्ठावीस नक्षत्रों मेंकयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोग कितने नक्षत्र हैं जो सदा चन्द्र के दक्षिण भाग में योग जोएंति? करते हैं ? २. कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोगं (२) कितने नक्षत्र हैं जो सदा चन्द्र के उत्तर भाग में योग जोएंति? करते हैं? ३. कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणऽवि (३) कितने नक्षत्र हैं जो चन्द्र के दक्षिण में भी और उत्तर उत्तरेणऽवि पमई जोगं जोएंति? भाग में भी प्रमर्द योग करते हैं ? ४. कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमई (४) कितने नक्षत्र हैं जो चन्द्र के दक्षिण भाग में ही प्रमर्द जोगं जोएंति? योग करते हैं ? १ चंद. पा. १० सु. ६२ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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