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________________ ६१८ लोक- प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : बारह अमावास्याओं में कुलादि नक्षत्रों की योग संख्या ता फग्गुणी णं अमावासं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएड कुले वा त्ता, उबग या कुत्ता फग्गुणी गं अमावासा जुत्तात्ति वत्तव्वं सिया, ६. ५० -ता चेत्ति अमावासं कि कुलं जोएइ, उवकुलं जोएइ, कुलोवकुलं जोएइ ? उ०- कुवा जोए उब था जो नो सम्म लवकु १. कुलंजोएमा जोड २. उवकुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खते जोएइ, तादेति वा कुलं वा जोए उवा जोएड कुलेण वा कुत्ता, उवकुले वा जुला, बेसि अमावासा जुत्तात्ति वत्तव्वं सिया, १०. ५० - ता साहिं अमावासं कि कुलं जोएइ, उवकुलं जोएल जोए ? उ०- हुवा जोएड उवा जो नो ल कुलोवकुलं, १. जोमाने भर से जोड २. उबकुलं जोएमाणे कत्तिया णक्खत्ते जोएइ, ता वेसाहिं अमावासं कुलं वा जोएइ, उबकुलं वा जोएइ, कुले वा जुत्ता, उपकुले या कुत्ता बेसाह अमाबाबा सति वत्तव्यं सिया, ११. ५० - ता जेट्टामूली अमावासं कि कुलं जोएइ, उवकुलं जोएइ, कुलोवकुल जोएइ ? सूत्र १०६८ इस प्रकार फाल्गुनी अमावास्या को कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और उपकुल संज्ञक नक्षत्र योग करता है । कुलसंज्ञक नक्षत्र और उपमुखसंज्ञक नक्षत्र में से किसी एक नक्षत्र को फाल्गुनी अमावस्या को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से युक्त कही जाती है । (e) प्र० - चैत्री अमावास्या को क्या कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है ? उ०-- कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और उपकुल संज्ञक नक्षत्र योग करता है किन्तु कुलोक नक्षत्र योग नहीं करता है । ( १ ) कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो रेवती नक्षत्र योग करता है । (२) उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो नक्षत्र योग करता है । इस प्रकार चैत्री अमावास्या को कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है । कुलसंज्ञक नक्षत्र और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र में से किसी एक नक्षत्र का चैत्री अमावास्या को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से युक्त कही जाती है। (१०) प्र० – वैशाखी अमावास्या को क्या कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, उपयोग करता है और कुलप संज्ञक नक्षत्र योग करता है ? उ०- कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और उपकुल संज्ञक नक्षत्र योग करता है किन्तु कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग नहीं करता है । (१) कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो भरणी नक्षत्र योग करता है । (२) उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो कृत्तिका नक्षत्र योग करता है । इस प्रकार वैशाखी अमावास्या को कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और उपकुल संज्ञक नक्षत्र योग करता है । कुलसंज्ञक नक्षत्र और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र में से किसी एक नक्षत्र का वैशाखी अमावास्या को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से युक्त कही जाती है । (११) २० पेष्टामुली अमावस्या को क्या संक नक्षत्र योग करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है ?
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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