SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 779
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६१४ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक्लोक : बारह पूर्णिमाओं में कुलादि नक्षत्रों का योग सूत्र १०६७ कुलेण वा, उवकुलेण वा जुत्ता विसाहिण्णं पुण्णिमं कुलसंज्ञक नक्षत्र और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र में से किसी एक जुत्तेत्ति वत्तव्वं सिया, नक्षत्र का वैसाखी पूर्णिमा को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से युक्त कही जाती है। . ११.५०-ता जेट्टा-मूलिण्णं पुण्णिमं कि कुल जोएइ, उवकुलं (११) प्र०-ज्येष्ठा-मूली पूर्णिमा को क्या कुलसंज्ञक नक्षत्र जोएइ, कुलोवकुलं जोएइ ? योग करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, कुलोपकुल संज्ञक नक्षत्र योग करता है ? उ०-ता कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, कुलोबकुलं उ०-कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र वा जोएइ, योग करता है और कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है । १. कुलं जोएमाणे मूले णक्खत्ते जोएइ, (१) कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो मूल नक्षत्र योग करता है। २. उवकुलं जोएमाणे जेट्ठा णक्खत्ते जोएइ, (२) उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो ज्येष्ठा नक्षत्र योग करता है। ३. कुलोवकुलं जोएमाणे अणुराहा णक्खत्ते जोएइ, (३) कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो अनुराधा नक्षत्र योग करता है। जेट्ठा-मूलिण्णं पुण्णिम कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा इस प्रकार ज्येष्ठामूली पूर्णिमा को कुलसंज्ञक नक्षत्र योग जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ, करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है और कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है। कुलेण वा, उवकुलेण वा, कुलो वकुलेण वा जुत्ता कुलसंज्ञक नक्षत्र, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र और कुलोपकुलसंज्ञक जेट्ठा-मूलिण्णं पुण्णिमं जुत्तेत्ति वत्तब्वं सिया, नक्षत्र में से किसी एक नक्षत्र का ज्येष्ठामूली पूर्णिमा को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से युक्त कही जाती है । १२.५०–ता आसाढिण्णं पुण्णिमं किं कुल जोएइ, उवकुलं (१२) प्र०--आषाढी पूर्णिमा को क्या कुलसंज्ञक नक्षत्र जोएइ, कुलोवकुलं जोएइ? योग करता है, उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है, कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है? उ०—ता कुलं वा जोएइ, उबकुलं वा जोएइ, नो लभइ उ०-कुलसंज्ञक नक्षत्र योम करता है और उपकुलसंज्ञक कुलोवकुलं, नक्षत्र योग करता है किन्तु कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग नहीं करता है। १. कुलं जोएमाणे उत्तरासाढा णक्खत्ते जोएइ, (१) कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो उत्तराषाढा नक्षत्र योग करता है। २. उवकुलं जोएमाणे पुब्वासाढा णक्खत्ते जोएइ, (२) उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करे तो पूर्वाषाढा नक्षत्र योग करता है। आसाढिण्णं पुण्णिमं कुलं वा जोएइ उवकुलं वा इस प्रकार आषाढी पूर्णिमा को कुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता जोएइ, है और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र योग करता है। कुलेण वा उवकुलेण वा जुत्ता आसाढिण्णं पुण्णिमं कुलसज्ञक नक्षत्र और उपकुलसंज्ञक नक्षत्र में से किसी एक जुत्तेत्ति वत्तव्वं सिया,' नक्षत्र का आषाढी पूर्णिमा को योग होने पर वह उसी नक्षत्र से -सूरिय. पा. १०, पाहु. ६, सु. ३६ युक्त कही जाती है। १ (क) जंबु० वक्ख ० ७ सु० १६१ । (ख) चंद० पा० १० सु० ३६ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy