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________________ ६०४ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के तारों की संख्या सूत्र १०६४ - (क्रमश:) ४७३ ३८६ विशाखा के ५ तारे अनुराधा के ४ तारे ज्येष्ठा के ३ तारे २२७ ३८६ पूर्वाषाढा के ४ तारे उत्तराषाढा के ४ तारे तारक ग्रह ६ हैं। ४८१ नक्षत्रों के तारे समवायांग म " 0 0 0 0 0 0 0 mm 0 mm x mm worm you विवरण अभिजित् के ३ तारे श्रवण के ३ तारे धनिष्ठा के ५ तारे शतभिषक् के १०० तारे पूर्वाभाद्रपद के २ तारे उत्तराभाद्रपद के २ तारे रेवती के ३२ तारे अश्विनी के ३ तारे भरणी के ३ तार कृत्तिका के ६ तारे रोहिणी के ५ तारे मृगशिरा के ३ तारे आर्द्रा का १ तारा पुनर्वसु के ५ तारे पुष्य के तीन तारे अश्लेषा के ६ तारे मघा के ७ तारे पूर्वाफाल्गुनी के २ तारे उत्तराफाल्गुनी के २ तारे हस्त के ५ तारे चित्रा का १ तारा स्वाति का १ तारा विशाखा के ५ तारे अनुराधा के ४ तारे जेष्ठा के ६ तारे मूल के ११ तारे पूर्वाषाढा के ४ तारे उत्तराषाढा के ४ तारे रेवती से ज्येष्ठा तक ६८ तारे सर्वोपरि तारा की ऊँचाई सर्वोपरि तारा की ऊँचाई " . n -
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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