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सूत्र १०६५
तिर्यक्लोक : नक्षत्रों के दिशा द्वार
गणितानुयोग
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णक्खत्ताणं दाराई
नक्षत्रों के दिशा द्वार६५. ५०-ता कहं ते जोइसस्स दारा? आहिए त्ति वएज्जा, ६५. प्र०-ज्योतिष्कों के (दिशा) द्वार किस प्रकार कहे गये
हैं ? कहें। उ०-तत्थ खलु इमाओ पंच परिवत्तीओ पण्णत्ताओ,
उ०-इस सम्बन्ध में ये पाँच प्रतिपत्तियाँ कही गई हैं तं जहा
यथातत्थेगे एवमाहंसु
उनमें से एक मान्यता वाले इस प्रकार कहते हैं१. ता कत्तियादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, (१) कृत्तिका आदि सात नक्षत्र पूर्व दिशा के द्वार वाले कहे एगे एवमाहंसु,
गये हैं। (क्रमशः) (घ) मुहूर्त चिन्तामणी मुहूर्त चिन्तामणी
सूर्यप्रज्ञप्ति
सूर्यप्रज्ञप्ति नक्षत्र नाम नक्षत्र-तारा संख्या
नक्षत्र नाम
नक्षत्र-तारा संख्या . १ अश्विनी ३ तारा अभिजित्
३ तारा २ भरणी
श्रवण ३ कृत्तिका
धनिष्ठा ४ रोहिणी
शतभिषक ५ मृगशिरा
पूर्वाभाद्रपद ६ आर्द्रा
उत्तराभाद्रपद ७ पुनर्वसु
रेवती ८ पुष्य
अश्विनी ९ अश्लेषा १० मघा
कृत्तिका ११ पूर्वाफाल्गुनी
रोहिणी १२ उत्तराफाल्गुनी
मृगशिरा
आर्द्रा १४ चित्रा
पुनर्वसु १५ स्वाती
पुष्य १६ विशाखा
अश्लेषा १७ अनुराधा
मघा १८ जेष्ठा
पूर्वाफाल्गुनी १६ मूल
उत्तराफाल्गुनी २० पूर्वाषाढा
हस्त २१ उत्तराषाढा २२ अभिजित्
स्वाती २३ श्रवण
विशाखा २४ धनिष्ठा
अनुराधा २५ शतभिषक्
जेष्ठा २६ पूर्वाभाद्रपद
मूल २७ उत्तराभाद्रपद
पूर्वाषाढा २८ रेवती
उत्तराषाढा
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भरणी
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चित्रा