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________________ ५६८ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के संस्थान सूत्र १०६३ १५. ५०-ता पुस्से णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्त ? उ०-बद्धमाण संठिए पण्णते, १६. प०–ता अस्सेसा णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्त ? उ०-पडागसंठिए पण्णत्त, १७. ५०–ता महा णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? उ०—पागार संठिए पण्णत्ते, १८. ५०–ता पुवाफग्गुणी णक्खत्ते कि संठिए पण्णते ? उ०—अद्धपलियंक सठिए पण्णत्ते, १६.५०–ता उत्तराफग्गुणी णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? उ०-अद्धपलियंक संठिए पण्णत्ते, २०.५०-ता हत्थ णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? उ०-हत्थ संठिए पण्णत्ते, २१. प०-ता चित्ता णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? (१५) प्र०-पुष्य नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ.-'वर्धमान' दीपक जैसा संस्थान कहा गया है। (१६) अश्लेषा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०-'पताका' जैसा संस्थान कहा है । (१७) प्र०-मघा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है? ऊ०-'प्राकार' जैसा संस्थान कहा गया है। (१८) प्र०-पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०—'आधे पलंग' जैसा संस्थान कहा गया है। (१६) प्र०-उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०-'आधे पलग' जैसा संस्थान कहा गया है । (२०) प्र०-हस्त नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०-'हाथ' जैसा संस्थान कहा गया है । (२१) प्र०--चित्रा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०-फूले हुए मुंह जैसा संस्थान कहा गया है । (२२) प्र०-स्वाती नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ.-'खीले' जैसा संस्थान कहा गया है । (२३) प्र०-विशाखा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है। उ०-दामनिका (पशु बाँधने की रज्जु) जैसा संस्थान कहा गया है। (२४) प्र०-अनुराधा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ–'एकावलिहार' जैसा संस्थान कहा गया है। (२५) प्र०-ज्येष्ठा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ? उ०-'गजदन्त' जैसा संस्थान कहा गया है । (२६) प्र०-मूल नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा उ०-मुहफुल्ल संठिए पण्णत्ते, २२. ५०–ता साई णक्खत्ते कि संठिए पण्णते? उ०-खीलग संठिए पण्णत्ते, २३. ५०-ता विसाहा णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते? उ०-दामणि संठिए पण्णत्ते, २४. ५०-ता अणुराहा णक्खत्ते कि संठिए पण्णत ? उ०-एगावलि संठिए पण्णत्ते, २५. ५०-ता जेट्ठा णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? उ०-गयदन्त संठिए पण्णत्ते, २६. ५०–ता मूले णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ? गया है? उ०-विच्छ्यलंगोलसंठिए पण्णत्ते, उ०-'विच्छ की पूंछ' जैसा संस्थान कहा गया है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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