________________
सूत्र १०६३
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के संस्थान
गणितानुयोग
५६७
३. ५०-ता धणिट्ठा णक्खत्ते कि संठिए पण्णते?
उ०—सउणीपलीणगसंठिए पण्णत्ते, ४. ५०-ता सय भिसया णक्खत्ते कि संठिए पण्णते?
उ०-पुप्फोवयार संठिए पण्णते, ५. प०–ता पुव्वापोटुवया णक्खत्ते किं संठिए पण्णते?
उ०-अवड्ढवावि संठिए पण्णत्ते, - ६. ५०–ता उत्तरापोटुवया णक्खत्ते कि संठिए पण्णते?
उ०-अवड्ढवावि संठिए पण्णत्ते, ७. ५०-ता रेवई णक्खत्ते कि संठिए पण्णते?
उ०-णावा सैठिए पण्णत्ते, ८. प०–ता अस्सिणी णक्खत्ते कि संठिए पण्णते?
उ०-आसक्खंध संठिए पण्णत्ते, ६.५०ता भरणी णक्खत्ते कि संठिए पण्णते ?
(३) प्र०-धनिष्ठा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ?
उ०-'पक्षियों के पिंजरे' जैसा संस्थान कहा गया है।
(४) प्र०-शतभिषा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है?
उ०-'पुष्प-राशि' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(५) प्र०-पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ?
उ०-आधी 'वापी' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(६) प्र०-उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है।
आधी 'वापी' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(७) प्र०-रेवती नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार कहा गया है ?
उ०—'नौका' जैसा संस्थान कहा गया है।
(6) प्र०-अश्विनी नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ?
उ०-'अश्वस्कंध' जैसा संस्थान कहा गया है।
(९) प्र०-भरणी नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है?
उ.-'भग' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(१०) कृत्तिका नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है ?
उ०-'छुरे के घर' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(११) प्र०- रोहिणी नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया हैं ?
उ०-'गाड़ी की धुरी' जैसा संस्थान कहा गया है ।
(१२) प्र०-मृगशिरा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है?
उ.-'मृग के मस्तक' जैसा संस्थान कहा गया है।
(१३) प्र०-आर्द्रा नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है?
उ०-'रुधिर के बिन्दु' जैसा संस्थान कहा गया है।
(१४) प्र०-पुनर्वसु नक्षत्र का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है?
उ०-'तुला' जैसा संस्थान कहा गया है।
उ०-मगसंठिए पण्णत्ते, १०.५०-ता कत्तिया णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते? .
उ०-छुरघरग संठिए पण्णत्ते, ११.५०–ता रोहिणी णक्खत्ते कि संठिए पण्णते ?
उ०—सगडुड्ढि संठिए पण्णत्ते, १२. ५०-ता मियसिरा णक्खत्ते कि संठिए पण्णते ?
उ०-मिगसीसावलि संठिए पण्णत्ते, १३. ५०–ता अद्दा गक्खत्ते कि संठिए पणते ?
उ०-रुहिरबिंदु संठिए पण्णत्ते, . १४. ५०–ता पुणन्वसु णक्खत्ते कि संठिए पण्णत्ते ?
उ०—तुला संठिए पष्णत्ते,