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सूत्र १०७१-१०७२
तिर्यक् लोक : कालोदगसमुद्र के चन्द्र-सूर्य द्वीपों को प्ररूपण
गणितानुयोग
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रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं तीरियम- उन द्वीपों की राजधानियां अपने अपने द्वीपों के पूर्व में संखेज्जे दीव-समुद्दे वीतिवतित्ता अण्ण मि धायतिसंडे तिरछे असंख्य द्वीप-समुद्रों के बाद अन्य धातकीखण्डद्वीप में है, दीवे सेसं तं चेव ।
शेष सब पूर्ववत् है। एवं सूरदीवावि ।
इसी प्रकार सूर्यद्वीप भी है। णवरं - धायइसंडस्स दीवस्स पच्चथिमिल्लातो वेदि- विशेष-धातकीखण्डद्वीप की पश्चिमी वेदिका के अन्तिम यंताओ कालोयं णं समुद्द वारसजोयणसहस्साई भाग के कालोद समुद्र में बारह हजार योजन जाने पर धातकीओगाहित्ता एत्थ णं धायइसंडदीवाणं सूराणं सूरदीवा खण्ड द्वीप के सूर्यों के सूर्यद्वीप कहे गये हैं। णामं दीवा पण्णत्ता। तहेब सव्व-जाव-रायहाणीओ सूराणं दीवाणं पच्चत्थि- इसी प्रकार सब पूर्ववत् है-यावत्-उनको राजधानियाँ मेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुह वीतिवतित्ता अण्णमि सूर्यद्वीपों के पश्चिम में तिरछे असंख्यद्वीप-समुद्रों के बाद अन्य धायइसंडे दीवे । सव्वं तहेव ।
धातकीखण्डद्वीप में है । शेष सब पूर्ववत् है। -जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १६४ कालोयगाणं चन्द-सूरदीवाणं परूवणं
__ कालोदगसमुद्र के चन्द्र-सूर्य द्वीपों का प्ररूपण - ७२. प०-कहि णं भंते ! कालोयगाणं चन्दाणं चन्ददीवा णामं ७२. प्र०-हे भगवन् ! कालोदक समुद्र के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप दोवा पण्णत्ता?
___ कहाँ कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! कालोदगसमुद्देसु पुरथिमिल्लाओ वेदियंताओ उ०.-हे गौतम ! कालोदकसमुद्र की पूर्वी वेदिका के
कालोयण्णं समुदं पच्चत्थिमेण बारसजोयणसहस्साइ अन्तिम भाग से कालोदसमुद्र के पश्चिम भाग में बारह हजार ओगाहित्ता-एत्थ णं कालोयगचन्दाणं चन्ददीवा णामं योजन जाने पर कालोदक समुद्र के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप नामक द्वीप दीवा पण्णत्ता।
कहे गये हैं। आयाम-विक्ख भ-परिक्खेवो जहा गोतमदीवस्स । उनकी लम्बाई-चौड़ाई और परिधि गौतमद्वीप के समान है । सब्वओ समंता दो कोसा ऊसिता जलंताओ।
वे द्वीप जल की ऊपरी सतह से दो कोश ऊंचे हैं । पउमवरवेइयाओ, वणसंडा, बहुसमरमणिज्जा भूमि- उन द्वीपों की पद्मवरवेदिका, वनखण्ड, सर्वथा समरमणीय भागा, पासायडिंसगा, मणिपेढियाओ, सीहासणा भूमिभाग, प्रासादावतंसक, मणिपोठिकायें सपरिवार सिंहासन सपरिवारा, सो चेव अट्ठो।
__ और नाम के हेतु पूर्ववत् कहें। सेसं तहेव-जाव-रायहाणीओ।
शेष पूर्ववत्-यावत्-राजधानियाँ। सगाणं दीवाणं पुरथिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे अपने द्वीपों के पूर्व में तिरछे असंख्य द्वीप समुद्रों का अतिवीतिवतित्ता अण्णमि कालोदगसमुद्दे । तं चेव सव्वं क्रमण करने पर अन्य कालोदसमुद्र में है। शेष पूर्ववत्-यावत् -जाव-चंदा देवा, चंदा देवा ।
चंद्रदेव चंद्रदेव । एवं सूराण वि।
इसी प्रकार सूर्यों के सूर्यद्वीप भी है । णवरं-कालोयगपच्वत्थिमिल्लातो वेदियंताओ कालो- विशेष—कालोदसमुद्र की पश्चिमी वेदिका के अन्तिम भाग यगसमुद्दपुरथिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगा- से, कालोदसमुद्र के पूर्वी भाग में बारह हजार योजन जाने पर हित्ता कालोयगसूराणं सूरदीवा णामं सूरदीवा कालोदसमुद्र के सूर्यों के सूर्यद्वीप कहे गये हैं। पण्णत्ता। सेसं तहेव-जाव-रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थि- शेष पूर्ववत्-यावत्--राजधानियाँ अपने द्वीपों से पश्चिम मेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिबतित्ता अण्णंमि में तिरछे असंख्य द्वीप-समुद्रों का अतिक्रमण करने पर अन्य कालोयगसमुद्दे ।
कालोदसमुद्र में है। त चेव सव्वं सूरा देवा, सूरादेवा ।
शेष सब पूर्ववत् सूर्यदेव सूर्यदेव । --जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १६५ .